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Kamlesh Tiwari Murder Case Update : आरोपितों को लखनऊ पुलिस ने उठाया, मुख्य शरणदाता को छोड़ा

लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की 18 अक्टूबर 2019 को हत्या की गई थी। इस मामले में मुख्य आरोपित बरेली आकर रुके थे।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 11:58 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 11:58 PM (IST)
Kamlesh Tiwari Murder Case Update : आरोपितों को लखनऊ पुलिस ने उठाया, मुख्य शरणदाता को छोड़ा
Kamlesh Tiwari Murder Case Update : आरोपितों को लखनऊ पुलिस ने उठाया, मुख्य शरणदाता को छोड़ा

बरेली, जेएनएन। लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की 18 अक्टूबर 2019 को हत्या की गई थी। इस मामले में मुख्य आरोपित बरेली आकर रुके थे, जिन्हें यहां पनाह देने के लिए मौलाना कैफी, कामरान और नवेद को आरोपित बनाया गया था। गिरफ्तार के करीब पांच महीने बाद यह आरोपित जमानत पर छूट गए थे। रविवार रात लखनऊ पुलिस ने प्रेमनगर और मलूकपुर क्षेत्र में दबिश देकर तीनों को उठा लिया। बाद में मौलाना कैफी को गिरफ्तारी पर स्टे होने के चलते छोड़ दिया। बाकी दोनों को गैंगेर मामले में जेल भेज दिया गया।

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हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या मामले में चर्चा में रहा जिला एक बार फिर इसी मामले को लेकर सुर्खियों में है। कमलेश के हत्यारोपित मोहसिन शेख सलीम, रशीद अहमद पठान और फैजान वारदात को अंजाम देने के बाद सीधे बरेली आए थे। यहां प्रेमनगर निवासी मौलाला कैफी रहने खाने का और मलूकपुर के कामरान और नावेद ने उनके लिए कार, मोबाइल आदि की व्यवस्था की थी।एटीएस लखनऊ आरोपितों का पीछा करते करते बरेली तक पहुंची थी। यहां से कैफी, नवेद और कामरान को गिरफ्तार किया था।

इसके बाद जब मुख्य आरोपितों की गिरफ्तारी हुई तो इन दिनों को अपराधियों का साथ देने, साक्ष्य छिपाने समेत अन्य धाराओं में जेल भेजा गया था। बाद में उन पर गैंगस्टर की कार्रवाई भी की गई थी। इसके करीब पांच महीने बाद कैफी, नावेद और कामरान को जमानत मिल गई थी।इसके बाद से तीनों बरेली ही थे।सोमवार को जमानत का समय खत्म हो रहा था, उनकी कोर्ट में तारीख भी लगी थी। इससे पहले आरोपित लखनऊ जाकर फिर जमानत अर्जी लगाते कि उससे पहले रविवार देर रात लखनऊ पुलिस ने दबिश देकर उन तीनों को उठा ले गई।

लखनऊ पुलिस ने जब दबिश दी तो पूरे मुहल्ले में शेार मच गया कि एटीएस ने फिर तीनों को उठाया है। कैफी को लेने आई पुलिस ने तो खुद को प्रेमनगर पुलिस बताया। इसके बाद जब उनके स्वजन थाने पहुंचे तो पता चला कि कैफी को ले जाने वाली प्रेमनगर पुलिस नहीं थी। एटीएस का शोर मचने के चलते जिले से लेकर लखनऊ तक के एटीएस अधिकारियों के फोन मिलाए जाने लगे। लेकिन तीनों को ले जाने वाली लखनऊ पुलिस थी, इसके चलते एटीएस के अधिकारियों ने कार्रवाई से इन्कार कर दिया। बाद में लखनऊ के थाना नाका पुलिस ने नावेद और कामरान के खलाफ गैंगस्टर के फरार आरोपित बताकर कार्रवाई कर दी।

जबकि कैफी के पास हाइकोर्ट से गिरफ्तारी का स्टे होने के कारण उसे छोड़ दिया गया। पूर्व में जब मलूकपुर से नवेद और कामरान की गिरफ्तारी की थी, तो वहां के कई युवा भी चपेट में आए थे। इसके चलते रविवार रात जब लखनऊ पुलिस पहुंची तो फिर लोगों में दहशत बैठ गई। सोमवार सुबह चर्चा यह भी रही कि नवेद फरार हो गया।

एटीएस की टीम ने बरेली में कोई कार्रवाई नहीं की है। न ही कमलेश तिवारी हत्याकांड के आरोपितों को उठाया गया। - डी के ठाकुर, एडीजी, एटीएस

 


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