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जल संरक्षण के लिए संयुक्त प्रयास और जागरूकता जरूरी : एसके सूरी Bareilly News

सिर्फ सरकार प्रशासन और संबंधित विभागों के जागरूक होने से कुछ बदलने वाला नहीं है। जब तक हम खुद जल संरक्षण के प्रभावी कदम नहीं उठाएंगे तब तक पानी की बर्बादी नहीं रुकने वाली।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 11:14 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 01:37 PM (IST)
जल संरक्षण के लिए संयुक्त प्रयास और जागरूकता जरूरी : एसके सूरी Bareilly News
जल संरक्षण के लिए संयुक्त प्रयास और जागरूकता जरूरी : एसके सूरी Bareilly News

बरेली, जेएनएन : जल की बर्बादी को कैसे रोका जाएं? यह सवाल वर्तमान में हर व्यक्ति के मन में कौंधना चाहिए। आखिर क्यों...? तो वजह बेहद साफ है। जिस गति से जल के प्राकृतिक स्त्रोत जैसे तालाब समाप्त हो रहे है और भूजल का दोहन बढ़ रहा है।

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आने वाले कुछ सालों में हमें एक-एक बूंद के लिए मोहताज होना पड़ेगा। सिर्फ सरकार, प्रशासन और संबंधित विभागों के जागरूक होने से कुछ बदलने वाला नहीं है। जब तक हम खुद जल संरक्षण के प्रभावी कदम नहीं उठाएंगे, तब तक पानी की बर्बादी नहीं रुकने वाली।

जल संरक्षण हो प्रभावी कैसे बनाएं? इस विषय पर सोमवार को जागरण विमर्श कार्यक्रम में इंस्टीट्यूट ऑफ ईएचएस स्टडीज के चेयरमैन एवं सरकार के भूजल सेना प्रोजेक्ट के को-ऑडिनेटर एसके सूरी ने अपने विचार रखे।

खेतों में बनाएं छोटे-छोटे तालाब

एसके सूरी ने बताया कि भूजल का स्तर सुधारने के लिए सबसे जरूरी है कि हर गांव के खेतों में छोटे-छोटे तालाब बनाए जाएं। सरकार इसके लिए मदद मुहैया कराएं। साथ ही विशेषज्ञ के जरिये उन्हें समझाएं कि यहां तालाब की खोदाई कराएं। जिससे बरसाती पानी पूरे खेत में कहीं से भी बहकर नालियों व नालों में बर्बाद न हो। वहीं, तालाब के ऊपर जाल लगा दिया जाए। इस पर तमाम प्रकार की सब्जी की बेल आदि लगाकर खेती की जा सकती। इससे दो फायदे होंगे। पहला, तालाब वाली जगह उपयोग होगा। और दूसरा, तालाब का पानी वाष्पीकरण कम होगा।

फलदार पेड़ करते सबसे ज्यादा जल संचय

एसके सूरी ने बताया कि फल के पौधे सबसे ज्यादा जल संचय करते हैं। खासकर वो, जिन्हें बीज से लगाया जाता है। इसलिए लोगों को क्षेत्र के वातावरण के अनुकूल अपने गार्डन या खेतों में ज्यादा से ज्यादा फल के पौधे लगाने चाहिए।

शहर में नहीं, बल्कि मुहल्लों में लगे एसटीपी प्लांट

एसके सूरी का कहना है कि शहर में नहीं, मुहल्लों में एसटीपी प्लांट लगाया जाना चाहिए। जिससे मुहल्ले से निकलने वाले वेस्ट पानी को री-साइकिल कर स्टोर किया जा सके। जिसे पाइप लाइन के जरिये घरों में सप्लाई कर घरों-वाहनों की धुलाई, गार्डन में उपयोग लाया जा सकता है। इससे हम दिनभर में खाना बनाने, पीने व नहाने समेत अन्य जरूरी कामों में जितना पानी उपयोग करते हैं, उससे दोगुना पानी बचा सकते हैं।

संयुक्त योजना के साथ करने होंगे प्रयास

उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के तमाम अच्छी सरकारी योजनाएं चल रही है। मगर बढिय़ा से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। सरकार, प्रशासन, एग्रीकल्चर विभाग, सिंचाई विभाग, भूजल विभाग और सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि इसके लिए संयुक्त योजना बनाकर प्रयास करें। तभी फर्क नजर आ सकेगा। साथ ही आम लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा।

पांच साल में क्रिटिकल जोन में होगा बरेली

2011 के जनसंख्या आंकड़े देखें तो बरेली करीब 10 लाख की आबादी वाला शहर है। यहां प्रति व्यक्ति रोजाना संयुक्त राष्ट्र संघ यूएनओ के मानक 145 लीटर की अपेक्षा 100 लीटर अधिक जल बर्बाद कर रहा है। इस हिसाब से वर्तमान जल स्तर घटकर अगले पांच साल में क्रिटिकल जोन में पहुंच जाएगा। अभी भी वक्त है, शहर के लोग जल संरक्षण के लिए चेत जाएं। अन्यथा आने वाले सालों में व्यक्ति को अपने जरूरी कामों के लिए भी स्वच्छ पानी नसीब नहीं होगा।


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