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शाबाश बिटिया! 80 फीसद नजर कमजोर, लेकिन 'लक्ष्य अचूक'

रामेश्वर एन्क्लेव निवासी कौशिकी अग्रवाल..। सेरेब्रल पॉल्सी नामक बीमारी के चलते

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 02:07 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 02:07 AM (IST)
शाबाश बिटिया! 80 फीसद नजर कमजोर, लेकिन 'लक्ष्य अचूक'
शाबाश बिटिया! 80 फीसद नजर कमजोर, लेकिन 'लक्ष्य अचूक'

बरेली, जेएनएन : रामेश्वर एन्क्लेव निवासी कौशिकी अग्रवाल..। सेरेब्रल पॉल्सी नामक बीमारी के चलते 80 फीसद तक दृष्टिबाधित, शरीर भी सामान्य नहीं। चलने-फिरने और लिखने में भी परेशानी। लेकिन लक्ष्य पर निशाना अचूक। सीबीएसई हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा में 76.6 फीसद अंक हासिल किए। काफी कुछ उसी राह पर हैं, जिस पर चलकर पटना के दृष्टिबाधित राजेश सिंह देश के पहले आइएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) बने। हाल में उन्होंने झारखंड के बोकारो में बतौर उपायुक्त जिम्मेदारी दी गई है। बीबीएल स्कूल की छात्रा कौशिकी का भी सपना प्रशासनिक सेवा में जाना है। अब वह 11वीं में ह्यूमैनिटीज से पढ़ाई करना चाहती हैं। कहती हैं कि कोई काम असंभव नहीं है। बस लगन की जरूरत है। ट्यूटर ने पढ़ाने से खड़े कर दिए थे हाथ

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कौशिकी के पिता संदीप पेशे से डॉक्टर हैं। वह बताते हैं कि गणित में कौशिकी को दिक्कत थी। ट्यूशन लगवाई, लेकिन जनवरी में टीचर ने पढ़ाने से मना कर दिया। फिर मां ने घर में ही पढ़ाया। परीक्षा में लिखने की दिक्कत थी, हालांकि राइटर की अनुमति मिल गई। कौशिकी ने मेहनत से पेपर दिए, जिसके नतीजे अच्छे आए हैं। कौशिकी को गणित में 60, अंग्रेजी में 93, हिदी में 89, विज्ञान में 56 और कंप्यूटर एप्लीकेशन में 96 अंक मिले। कुल 383 अंक मिले हैं। छोटी बहन और मां बनीं मददगार

चूंकि कौशिकी बचपन से ही सेरेब्रल पॉल्सी से ग्रसित थीं। इसलिए कौशिकी ने खुद को लगातार संभाला। तमाम दिक्कतों के बावजूद पढ़ाई जारी रखी। रेगुलर स्कूल गई। अगर काम छूट जाता तो उसकी छोटी बहन पूरा कर देती थी। मां भावना अग्रवाल ने ही घर में पढ़ाया।


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