समाज से मिलेगा सम्मान तो सुरक्षित होंगी महिलाएं
जागरण संवाददाता, बरेली : यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता, एक नहीं दो मात्राओं पर भारी, नर के
जागरण संवाददाता, बरेली : यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता, एक नहीं दो मात्राओं पर भारी, नर के ऊपर नारी.. यकीनन ये पंक्तियां महिलाओं को सर्वोच्च दर्जा दिलाती हैं, पर क्या वाकई समाज में महिलाओं को उनका स्थान मिल रहा है। क्या महिलाओं की सुरक्षा के प्रति समाज सजग है। क्यों कोख में ही कन्या को मार दिया जाता है, क्यों वो हैवानियत का शिकार हो जाती है। तमाम कानून होने पर भी उन्हें न्याय क्यों नहीं मिल पाता। कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने के लिए गुरुवार को दैनिक जागरण ने महिलाएं, समाज और सुरक्षा विषय पर फोरम का आयोजन किया। इसमें बुद्धिजीवियों ने गहन मंथन किया। आखिर में निष्कर्ष निकाला, समाज से सम्मान मिले तभी महिलाएं सुरक्षित कही जा सकती हैं।
आजादी को महिलाओं ने भी दी कुर्बानी, फिर बंदिश क्यों
रोहतक में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर व समाजसेवी जगमती सांगवान ने कड़े तेवर में महिलाओं के हालात को रखा। बोली, आजादी के 70 साल बाद भी आधी आबादी असुरक्षित क्यों है। स्वतंत्रता के लिए महिलाओं ने भी कुर्बानी दी हैं। आजाद देश में रहने वाली महिलाओं पर रात को बाहर निकलने, ऐसे-वैसे कपड़े पहनने जैसी बंदिशों का क्या मतलब। उन्हें सुरक्षा दिए जाने की सच्चाई कुछ अंश तक ठीक है। हकीकत इससे अलग है। आज भी वे हर क्षेत्र में पिछड़ी हुई है। उन्हें अपने मन से कपड़े पहनने, निर्णय लेने, घूमने-फिरने के अधिकार आज भी नहीं मिले हैं। महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण उनकी जीवन की जरूरत है।
जगमती सांगवान ने कहा कि डेरा सच्चा की दो महिलाओं ने जिस पर शोषण के आरोप लगाए, उसी पर नेता व अधिकारी नतमस्तक हो रहे हैं। यह महिला असुरक्षा को बढ़ावा देती है। इसलिए कानून बनाना ही नहीं उसे कड़ाई से लागू करना जरूरी है। बोली, आज बेटियां उत्पीड़न करने वाले का गला पकड़ रही हैं। वह मानसिक विकास की दौड़ में कही आगे हैं। इसलिए समाज को महिलाओं में सुरक्षा की भावना को पोषित करना होगा। ऐसा सिर्फ उन्हें समाज में सम्मान देकर किया जा सकता है। समाज में उनकी भूमिका को बढ़ाना होगा।
महिलाओं को आजादी देने की जरूरत
बार काउंसिल आफ उप्र के उपाध्यक्ष शिरीष मेहरोत्रा ने कहा कि सब जानने हैं कि नारी पूजनीय है, लेकिन इसे सामूहिक रूप से स्वीकार करने में चूक जाते है। इसी के कारण समस्याएं होती हैं। कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, घरेलू ¨हसा आदि के लिए तमाम कानून है, लेकिन इससे समस्या का हल नहीं निकल पाया है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए समाज को आगे आना पड़ेगा। नारी के कारण ही हम सब हैं, इसलिए उनका सम्मान करना होगा। उन्हें सम्मान के साथ ही आजादी देने की भी जरूरत है। आज महिलाएं कुछ क्षेत्रों में अग्रज की भूमिका भी निभा रही है। महिलाओं को उनका हक मिलेगा तो समाज का विकास होगा।
गर्भ से ही पड़ रही सुरक्षा की जरूरत
अपर निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा. प्रमिला गौड़ ने कहा कि महिला सुरक्षा तो गर्भ में पलने वाले बच्चे से ही शुरू हो जाती है। कन्या के सबसे बड़े दुश्मन तो माता-पिता ही हो जाते हैं, जो उन्हें जन्म नहीं लेने देते। उन्हें नहीं मालूम कि बच्ची तो जन्म के समय से ही शक्तिशाली होती है। हाई रिस्क प्रसूताएं जिनके गर्भ में कन्या होती है, उनके प्रसव में अधिक आसानी होती है। महिलाओं के असुरक्षित होने का बड़ा कारण शिक्षा व संस्कारों का अभाव है। हर घर में बच्चों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए। फिर थोड़ी सुरक्षा खुद भी करनी होगी। माता-पिता को भी ध्यान रखना पड़ेगा। बच्चियों को गुड टच व बैड टच के बारे में बताना होगा। पाश्विक प्रवृत्ति हम सब में है, लेकिन उसे बढ़ते नाखून की तरह काटना पडे़गा। महिलाओं को सम्मान मिलेगा तो वह सुरक्षित होंगी।
ड्रेस में घूमते मिले छात्र तो पूछे पुलिस
जीआरएम स्कूल के मैनेजर राजेश जौली ने कहा कि शैक्षिक संस्थान चलाते हुए हम जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकते हैं। अभिभावकों व शिक्षकों के बीच संवाद बनाए रखते हैं। कक्षा नौ से 12वीं तक के बच्चों में स्कूल नहीं आने की समस्या थी। हमने एसएमएस सर्विस शुरू कर दी, जिससे किसी भी छात्र के स्कूल नहीं आने पर तुरंत मैसेज उनके अभिभावक को दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कई बार बच्चे स्कूल नहीं आकर घूमने निकल जाते हैं। ऐसे में पुलिस को ड्रेस में बच्चे दिखते ही उनसे पूछताछ करनी चाहिए।