जागरण सरोकार : जल है जिंदगानी, आओ इसे बचा लें Bareilly News
रिपोर्ट के मुताबिक नहाने के लिए करीब 55 लीटर पानी चाहिए होता है। जबकि टॉयलेट के लिए प्रति व्यक्ति पानी की आवश्यकता करीब 30 लीटर है।
बरेली, जेएनएन : जल है जो जिंदगानी है...फिर भी हम इसे बर्बाद करते हैं। नतीजतन, पानी का भंडार कम होता जा रहा। आने वाली पीढ़ियां के लिए हम क्या छोड़कर जाएंगे...सूखे हुए नल और मैदान बन चुकी नदियां? यह चिंता इसलिए है ताकि हम समय रहते चेत जाएं। यही वजह है कि दैनिक जागरण अपने सरोकार- जल संरक्षण के जरिये लोगों को पानी बचाने के लिए आगाह करता आया है।
एक व्यक्ति को रोजाना करीब 135 लीटर पानी की जरूरत होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, नहाने के लिए करीब 55 लीटर पानी चाहिए होता है। जबकि टॉयलेट के लिए प्रति व्यक्ति पानी की आवश्यकता करीब 30 लीटर है। घर और बर्तन साफ करने के लिए करीब 10-10 लीटर, जबकि खाना पकाने व पीने के लिए पांच-पांच लीटर पानी आवश्यक होता है। बात बरेली शहर की करें तो शहर की आबादी करीब चौदह लाख है। शहर में रोजाना 150 एमएलडी(मिलियन लीटर प्रति दिन) पानी की आवश्यकता है, लेकिन नगर निगम केवल 100 एमएलडी पानी ही सप्लाई कर पा रहा है। यह उदाहरण बता रहे कि किस तरह रोजाना पानी की कमी होती जा रही।
11 सितंबर को जागरण दिलाएगा संकल्प
जागरण के सातों सरोकार समाज को दिशा रहे। ये सरोकार संकल्प में आमजन के संकल्प में शामिल हों, इसके लिए 11 सितंबर को मंडल के सभी जिलों में रैली का आयोजन किया जा रहा। जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे।
लोगों ने कहा
घर पर इस्तेमाल होने वाले आरओ वाटर से निकलने वाले पानी को बर्बाद नहीं करते हैं। इसको फिर से प्रयोग करते हैं। इस जल संरक्षण की प्रेरणा भी दैनिक जागरण से मिली है। - डॉ. मीनाक्षी गोयल
जागरण के सातों सरोकार प्रशंसनीय है। इसमें भी जल संरक्षण सरोकार सबसे अधिक लोकप्रिय है। काफी लोग इसमें प्रकाशित समाचारों से प्रेरित होकर पानी की बचत को लेकर सजग हुए हैं। - अरविंद गंगवार
दैनिक जागरण की जल संरक्षण मुहिम से प्रेरित होकर स्वयं भी अब पानी बचत करते हैं। अन्य को भी प्रेरित करते हैं। जल संरक्षण सरोकार से समाज में पानी की बचत को लेकर नई चेतना आई है। - ऋषि कुमार शर्मा, अध्यक्ष संस्कार भारती
दैनिक जागरण के सातों सरोकार समाज को दिशा दिखाते हैं। इनमें प्रकाशित होने वाली खबरों से लोगों को एक प्रेरणा मिलती है। उनके नजरिए और सोच में सकारात्मक बदलाव आता है। - डॉ. ममता गोयल