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Jagran Column : हमने सुना है : चुनाव तैयारियों पर गुटबाजी हॉवी Bareilly News

बरेली में साइकिल वाली पार्टी की आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आंतरिक तैयारियों पर अभी से गुटबाजी हावी है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 09:08 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 06:57 PM (IST)
Jagran Column : हमने सुना है : चुनाव तैयारियों पर गुटबाजी हॉवी Bareilly News
Jagran Column : हमने सुना है : चुनाव तैयारियों पर गुटबाजी हॉवी Bareilly News

अभिषेक जय मिश्रा : बरेली में साइकिल वाली पार्टी की आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आंतरिक तैयारियों पर अभी से गुटबाजी हावी है। पार्टी के प्रदेश स्तर के एक नेता कुछ दिन पहले स्थानीय पदाधिकारियों में जोश भरने के लिए बरेली आए थे। वरिष्ठ पदाधिकारी के आवास पर चाय पार्टी हुई। इसमें पूर्व विधायक से लेकर कार्यकर्ता तक नेताजी की बतकही में शिरकत करने पहुंचे। नेताजी ने बूथ स्तर की तैयारियों पर जमीनी बातों का सिलसिला शुरू किया। तभीएक वरिष्ठ पदाधिकारी उठकर जाने लगे। यह देख कुछ कार्यकर्ताओं के चेहरे पर मुस्कान तैर गई। मामले की नजाकत को भांपते हुए पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने पूछ ही लिया कि पार्टी रणनीति से सरोकार नहीं हैं क्या आपका.। इस पर वरिष्ठ पदाधिकारी हंसकर बोले कि हम तो बस चाय पीने आए थे, अब चलते हैं। फिर भी, जाने से पहले प्रदेश स्तर के नेताजी गुटबाजी से निपटने की टिप्स स्थानीय नेताओं को दे गए।

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विकास छोड़िए, पहले अहम से निपटिये

बरेली विकास प्राधिकरण और बोर्ड सदस्यों के बीच शुरू हुई रार लंबी खींच रही है। झुमका की डिजाइन परसाखेड़ा तिराहा पर लगाकर बीडीए ने वाहवाही लूटी थी। बोर्ड सदस्य अनुमति और अतिक्रमण पर विरोध कर रहे थे। उद्घाटन होने के बाद माना गया कि खिलाफत के एक अध्याय का पटाक्षेप हो गया। लेकिन शहर के विकास की चर्चा के लिए होने वाली बोर्ड बैठक विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और बोर्ड सदस्यों की खींचतान में फंसती नजर आ रही है। एजेंडा समय पर नहीं भेजने और विधानसभा सत्र के बीच बोर्ड बैठक करने पर बवाल शुरू हो गया। केंद्रीय मंत्री और कमिश्नर ने मध्यस्थता के प्रयास किए। बावजूद इसके बीडीए के अधिकारी और बोर्ड सदस्यों के बीच खींचतान में विकास की बात कहीं पीछे छूट गई है। बीडीए कार्यालय में चर्चा है कि ये नियम-कानून या विकास नहीं, बल्कि आगे अहम की लड़ाई है।

तो विकास में बिल्डरों की भूमिका 

बिल्डरों ने अवैध कंक्रीट के जंगल खड़े कर लिए और बरेली विकास प्राधिकरण का ध्यान एक आवासीय योजना को बसाने में ही लगा रहा। पंद्रह साल से बीडीए रामगंगा आवासीय योजना को मुनाफे का सौदा बनाने में जुटा हुआ है, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। बीडीए की लापरवाही का फायदा बिल्डरों को मिला। नतीजा यह हुआ कि बीते एक दशक में शहर के अंदर अवैध कॉलोनियों का जाल बिछ गया। सर्वे हुआ तो बीडीए के रिकॉर्ड में 197 कॉलोनियां अवैध रूप से बसने की बात सामने आई। सस्ते मकान आम आदमी को मुहैया करवाने में बीडीए बुरी तरह से असफल साबित हुआ। बीडीए की लापरवाही का फायदा बिल्डरों को ही हुआ। कलेक्ट्रेट में नंबर दो के अधिकारी इस नाकामी पर हंसते हुए बोले कि लगता है शहर के विकास में बिल्डर ही अपनी भूमिका अदा करते रहे, बीडीए आवासीय योजना में ही उलझा रह गया।

अफसरों पर साधा निशाना

देश का भविष्य नौनिहालों की हथेलियों में छुपा हुआ है। फिर बरेली में बात अगर चर्चा नौनिहालों की शिक्षा में कमी पर हो तो माननीयों का गुस्सा वाजिब है। क्योंकि वह मान बैठे हैं कि बच्चे अगर दो का पहाड़ा से लेकर ककहरा नहीं लिख पा रहे हैं तो यह प्रशासकीय अधिकारियों की गलती है। कलेक्ट्रेट में आयोजित कायाकल्प कार्यRम के दौरान ऐसा ही नजर आया। जब विधायकों ने मंच से जिले के मुखिया को संबोधित करते हुए झाड़ू लगाने से लेकर चार दीवारी टूट होने तक की व्यथा सुनाई। माननीय जताना चाहते थे कि उनके प्रयासों में कमी नहीं है। पूरा ढर्रा अधिकारियों ने बिगाड़ा है। प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों का स्तर सुधारना है तो पहले अफसरों का सतर्क होना जरूरी है। स्कूलों को लेकर कायाकल्प मुहिम का कितना फायदा होगा यह कहना मुश्किल है। मंच से माननीयों ने पूरा समा हक में साध लिया।


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