रोटा वायरस रोकने को वैक्सीन बनाएगा आइवीआरआइ, केंद्र सरकार ने दिया प्रोजेक्ट Bareilly News
पशुओं में रोटा वायरस की पहचान के लिए एलिसा किट बनाने के बाद अब संस्थान वायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए आइवीआरआइ को प्रोजेक्ट दिया है।
अखिल सक्सेना, जेएनएन। पशुओं में रोटा वायरस की पहचान के लिए एलिसा किट बनाने के बाद अब संस्थान वायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाएगा। केंद्र सरकार ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) को तीन करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दिया है। जल्द ही वैक्सीन बनाने पर काम शुरू होगा।
रोटा एक जूनोटिक वायरस है जो मनुष्यों और पशुओं दोनों को प्रभावित करता है। इससे पीडि़त होने पर डायरिया, दस्त शुरू हो जाते हैं, जिससे शरीर कमजोर हो जाता है। अभी तक पशुओं में इस वायरस की जांच करने की कोई व्यवस्था नहीं थी। आइवीआरआइ के आइसीएआर नेशनल फेलो यशपाल सिंह मलिक ने चार साल रिसर्च करने के बाद एक किट तैयार कर ली। इसकी लांचिंग भी 27 फरवरी को दिल्ली में हो गई। अब इस वायरस से बचाव के लिए संस्थान वैक्सीन तैयार करेगा।
हर साल एक चौथाई वैश्विक मृत्यु दर का कारण रोटा वायरस
आइवीआरआइ के निदेशक राज कुमार सिंह बताते हैं कि भारतीय बच्चों में हर साल एक चौथाई वैश्विक मृत्यु दर का कारण रोटा वायरस है। वहीं, 42 फीसद गाय-भैंस के बछड़ों में भी यह वायरस पाया जाता है जो गंभीर दस्त का कारण है। इसलिए पशुओं में इस वायरस को चिह्नित करने के लिए एलिसा किट तैयार की गई है।
अभी तक नहीं है कोई दवा
आइवीआरआइ के नेशनल फेलो यशपाल सिंह मलिक ने बताया कि अभी तक हमने किसानों से जुड़े पशु जैसे गाय, भैंस, बकरी, सुअर और भेड़ पर इसका टेस्ट किया है। इसमें करीब 11 से 12 तरह के रोटा वायरस की प्रजाति मिली है। अब कुत्ते और बिल्ली पर भी सैंपल टेस्ट किया जाएगा। जिससे यह पता चल सकेगा कि यह किट उसमें काम करेगी या नहीं। उन्होंने बताया कि पशुओं में रोटा वायरस रोकने के लिए कोई दवा नहीं है। इस वायरस की पहचान के लिए किट बना ली है। अब बचाव के लिए वैक्सीन बनाने का भी काम जल्द शुरू किया जाएगा। इसके लिए तीन करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मिला है।