बरेली, जेएनएन। Jat Regimental Museum : अगर आप इतिहास से रूबरू होने की चाहत रखते हैं तो बरेली का जाट रेजीमेंट संग्रहालय आपको खासा रोमांचित करेगा। वहां पर आप जाट बलवान के 227 साल की विजयी गाथा को क्रमवार देखने समझने के साथ महसूस कर सकेंगे। देश के सैनिकों का योगदान और देश ही नहीं अपितु वैश्विक स्तर पर हुए तमाम युद्धों की तस्वीरें, शस्त्र, वस्त्र, बैंड आदि तमाम प्राचीनतम वस्तुएं आपको आज से दो शताब्दी पुरानी दुनिया की मानसिक सैर कराएंगीं, क्योंकि जाट रेजीमेंट संग्रहालय के बड़े परिसर में आपको बहुत कुछ जीवंत सा नजर आएगा।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1795 में कलकत्ता में जब जाट रेजीमेंट की स्थापना की, जबकि बरेली में जाट रेजीमेंट सेंटर की स्थापना 1922 में हुई थी। तब से देश दुनिया में हुए तमाम युद्ध जिनमें जाट रेजीमेंट की बटालियन ने भाग लिया, उनके प्राचीनतम असलाह, लड़ने वाले सैनिकों की तस्वीरें, उनके नाम, अवार्ड आदि रखे हैं। परिसर में प्रत्येक बटालियन का एक गुंबद बना है, जिसमें बटालियन के गौरवशाली इतिहास को दिया गया।
इस संग्रहालय को दो भागों में बांटा गया है। पहला देश की आजादी यानी 15 अगस्त 1947 से पहले और दूसरा आजादी के बाद। आजादी से पहले भी कई खंडों में बांटा गया, जिसमें प्रथम विश्व युद्ध से पहले, इसके बाद प्रथम विश्व युद्ध, प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के मध्य, द्वितीय विश्व युद्ध एवं इसके बाद हुए युद्धों में दूसरे देशों के सैनिकों से बरामद किये गए शस्त्रों को रखा गया, जो बताता है कि जाट वीरों ने कितनी शिद्दत के साथ युद्ध लड़े।
आजादी के बाद जाट रेजीमेंट के विभाजन की यादें भी म्यूजियम में ताजा हो जाती हैं। 1947-48 में हुए भारत पाक युद्ध, चीन के साथ हुए युद्ध, पाकिस्तान के साथ बाद में हुए कई युद्धों, जैसे 1965 और कारगिल युद्ध में पाक सैनिकों से मिले शस्त्रों, भारत की विजयी तस्वीरों को देखकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।
संग्रहालय में देखने योग्य
बैटल ग्राउंड
पैटन टैंक, मोर्टार
बैगपाइपर समेत अन्य तमाम दशकों पुराने वाद्य यंत्र, संगीत लिपि, बैंड बजाने वालों की यूनिफार्म।
तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की लाहौर के डोगरई क्षेत्र में लड़ाकू जवानों को संबोधित करते हुए तस्वीर और उस लड़ाई को जीतने के बाद मिले शस्त्र।
चीन के शंघाई से युद्ध के दौरान जीतकर लाई गई भगवान गौतम बुद्ध की आदमकद प्रतिमा।
युद्ध नीति बयां करते मैदान को एकत्र करते माडल।
सैनिकों के बार्डर पर माइनस तापमान में काम करते हुए माडल।
जानें क्यों मनाया जाता है संग्रहालय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 18 मई को मनाया जाता है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने संग्रहालय के महत्व को समझते हुए अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाने का निर्णय 18 मई 1983 को लिया था। इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना था, जिससे वे संग्रहालयों के माध्यम से इतिहास, अपनी प्राचीन एवं समृद्ध परंपराओं समझ सकें। हालांकि इसको वर्ष 1992 से मनाने का क्रम शुरू हो सका।
नंबर गेम
2.7 एकड़ में फैला बड़ा जाट रेजीमेंट का संग्रहालय आसपास क्षेत्र दूसरा नहीं है
20 नवंबर 1995 को द्विशताब्दी पर जनरल शंकर राय चौधरी पहले संग्रहालय का उदघाटन किया।
19 नवंबर 2011 को मेजर जनरल राजीव भल्ला ने दूसरे संग्रहालय का उदघाटन किया।
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