एक जिला एक उत्पाद का ढिंढोरा, जेब में बजट तक नहीं
जरी। एक ख्वाब बुना था सरकार ने शहरवासियों और इस कारोबार से जुड़े कारीगरों की आंखों में। व्यापारियों और सप्लायरों के बीच से लेकर लखनऊ में जमकर ढिंढोरा पीटा।
जागरण संवाददाता, बरेली : जरी। एक ख्वाब बुना था सरकार ने शहरवासियों और इस कारोबार से जुड़े कारीगरों की आंखों में। व्यापारियों और सप्लायरों के बीच से लेकर लखनऊ में जमकर ढिंढोरा पीटा। लेकिन, खाली जेब ही उद्योग विभाग यह ढोल पीटता रहा। योजना तो बहुत बनाई। कारीगरों तक योजना का लाभ पहुंचाने, उनसे संपर्क के लिए बजट ही नहीं था। अब सरकार के आयुक्त व उद्योग निदेशक से बरेली के एक जिला एक उत्पाद योजना के लिए पहली बजट डिमांड भेजी गई है। उपायुक्त उद्योग ने प्रचार और स्टेशनरी के लिए सरकार से पांच लाख रुपये मांगे हैं, जिससे आने वाले समय में उद्योगों को बढ़ाने में किसी तरह की कोई दिक्कत न आ सके।
लक्ष्य मिलने के बाद टटोली अपनी जेब
दिसंबर में प्रदेश सरकार ने भारी, लघु, एवं मध्यम उद्योग श्रेणी में एक जिला एक उत्पाद की योजना शुरू की थी। अपने और बदायूं में जरी को चुना गया है। सरकार से इस उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए सभी जिलों से विस्तृत प्लान मांगे गए थे। यहां से प्लान तो गया, लेकिन उसे अमली जामा पहनाने के लिए अपनी जेब नहीं टटोली। अब सरकार से एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत 10 हजार 790 कारीगरों, व्यापारियों को सीधे मुद्रा योजना से जोड़ने का लक्ष्य आया है। 129 नए पंजीकरण स्टार्टअप योजना के तहत कराने हैं।
इन कामों के लिए मांगा बजट
उद्योग विभाग ने योजना में लोगों को शामिल करने, आवेदन पत्र प्रकाशन, स्टेशनरी, प्रचार-प्रसार के लिए कैंप आयोजित करने, होर्डिग लगवाने और पंफलेट तैयार कराने के लिए पांच लाख रुपये की डिमांड भेजी है।