आइवीआरआइ बोला ईईएच वायरस ले रहा गजराज की जान Bareilly News
दक्षिण भारत में एलीफेंट एंडोथेलिओट्रोपिक हर्पीस वायरस (ईईएचवी) एक बार फिर सामने आया है। इसी वायरस ने हाल में ओडिशा के नंदनकानन चिडिय़ाघर में हाथियों के चार शावकों का शिकार किया था।
जेएनएन, बरेली : दक्षिण भारत में एलीफेंट एंडोथेलिओट्रोपिक हर्पीस वायरस (ईईएचवी) एक बार फिर सामने आया है। इसी वायरस ने हाल में ओडिशा के नंदनकानन चिडिय़ाघर में हाथियों के चार शावकों का शिकार किया था। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) ने इस पर मुहर लगा दी है।
आइवीआरआइ ने की पुष्टि
भुवनेश्वर स्थित नंदनकानन चिडिय़ाघर में पिछले एक महीने में चार हाथियों (शावक) की मौत हुई थी। सबसे आखिर में बीती 21 सितंबर को सात साल की गौरी हथिनी मरी थी। इन मौतों के बाद उनके शरीर के कुछ अंग बतौर नमूने जांच के लिए आइवीआरआइ भेजे गए थे। जिनकी जांच के बाद आइवीआरआइ ने ईईएचवी से संक्रमण के चलते हाथियों की मौत की पुष्टि की। इससे पहले केरल में वर्ष 2013 और आसोम में वर्ष 2017 में भी ईईएचवी संक्रमण सामने आया था।
तीन में दो सैंपल निकले पॉजिटिव
आइवीआरआइ में प्रधान वैज्ञानिक और सेंटर ऑफ वाइल्डलाइफ के प्रभारी डॉ. अभिजीत पावड़े बताते हैं कि ओडिशा के नंदनकानन जू से तीन हाथी शावकों के आंतरिक अंग बतौर सैंपल मिले थे। इनमें हृदय, फेफड़े और यकृत समेत कुछ अन्य अंदरूनी अंग और सूड़ थी। जांच में पता चला कि हाथियों की सूड़ से रक्तस्राव (नकसीर) हुआ था। सैंपलों की जांच में दो ईईएचवी पॉजिटिव निकले।
वयस्क हाथी बनते वाहक, छोटे शिकार
दुनिया भर में सात तरह का ईईएच वायरस पाया जाता है। एशियाई हाथियों में ईईएचवी-वन पाया जाता है। यह वयस्क हाथियों की सूंड़ के जरिये उनके शरीर में पहुंचता है। लेकिन वयस्क हाथियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होने से उन पर असर नहीं डालता। अधिकतर वयस्क हाथी अपने शावकों के साथ किसी तालाब या झील वगैरह में पानी पीते हैं। ऐसे में यह वायरस छोटे हाथियों के शरीर में पहुंच जाता। चिडिय़ाघर में ठहरा पानी पीने की वजह से मौत होने की पूरी संभावना है।
समय पर इलाज के लिए होगा शोध
ईईएचवी के संक्रमण से करीब 24 घंटे में ही हाथियों के बच्चे शिकार बन जाते हैं। आइवीआरआइ अब जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद वायरस से संक्रमित हाथियों की जल्द पहचान करने पर शोध करेगा। जिससे मौजूद एंटी वायरस के जरिये उनका इलाज समय पर किया जा सके।
ईईएचवी का बरेली में भी खतरा
दक्षिण भारत ही नहीं, उत्तरी क्षेत्र भी ईईएचवी जैसे खतरनाक वायरस की चपेट में आ सकता है। यहां दुधवा नेशनल पार्क, कॉर्बेट नेशनल पार्क और राजाजी नेशनल पार्क में हाथी हैं। इसके अलावा, नेपाल से हाथियों के झुंड नियमित रूप से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के जंगलों में आते-जाते हैं और वे वायरस ले जा सकते हैं।
संस्थान को ओडिशा के नंदनकानन चिडिय़ाघर से तीन अवयस्क हाथियों के नमूने मिले हैं, जिनकी ईईएचवी से मृत्यु हुई। जल्द ही इसकी पहचान और रोकथाम के लिए रिसर्च शुरू कराई जाएगी।
-आरके सिंह, निदेशक, आइवीआरआइ बरेली