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रेलवे के इस नए सिस्टम से महज पांच मिनट में ट्रेन की सभी बोगियों में भरेगा पानी, जानें क्या है सिस्टम

ऑटोमेटिक कोच वाशिंग सिस्टम के अलावा रेलवे क्विक वाटरिंग सिस्टम भी शुरू करने जा रहा है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक यह सिस्टम 24 कोच की यात्री ट्रेन में महज पांच मिनट में ही पानी भर देगा।इससे समय काफी बचेगा।प्रति मिनट 100 लीटर पानी ट्रेन की टंकी में भरा जा सकेगा।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 04:42 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 04:42 PM (IST)
रेलवे के इस नए सिस्टम से महज पांच मिनट में ट्रेन की सभी बोगियों में भरेगा पानी, जानें क्या है सिस्टम
90 प्रतिशत काम हो चुका है पूरा, मुरादाबाद व बरेली जंक्शन पर लगना है सिस्टम

बरेली, जेएनएन। ऑटोमेटिक कोच वाशिंग सिस्टम के अलावा रेलवे क्विक वाटरिंग सिस्टम भी शुरू करने जा रहा है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक यह सिस्टम 24 कोच की यात्री ट्रेन में महज पांच मिनट में ही पानी भर देगा। इससे समय काफी बचेगा। प्रति मिनट 100 लीटर पानी ट्रेन की टंकी में भरा जा सकेगा। इस व्यवस्था के शुरू होने से समय की बचत होगी। उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल के बरेली जंक्शन, मुरादाबाद स्टेशनों पर इस सिस्टम को लगाया जा रहा है। जिसका 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। शेष कार्य जून माह के प्रथम सप्ताह तक पूरा हो जाएगा।

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इस तरह काम करेगा क्विक वाटरिंग सिस्टम

क्विक वाटरिंग सिस्टम में करीब तीन पंप सीरीज में लगाए जाएंगे। कोच में पानी की जरूरत के अनुसार पंप चलेंगे। सुपरवाइजर के मोबाइल पर डिस्प्ले के साथ कंट्रोल रहेगा। क्विक वाटरिंग सिस्टम में पहले लगे हुए पाइप की जगह मोटे पाइप डाले जाने हैं। पानी का प्रेशर बढ़ाने के लिए बीच-बीच में सिस्टम लगाए जाएंगे। जिससे ट्रेन के सभी कोच में पांच मिनट में पानी भर जाएगा।

एनसीआर डिवीजन में हो चुका है सफल प्रयोग

इस नई तकनीक का इस्तेमाल उत्तर मध्य रेलवे के कई स्टेशनों पर हो चुका है। नई दिल्ली स्टेशन के साथ ही आनंद विहार, सकूर बस्ती, झांसी समेत अन्य स्टेशनों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे कि ट्रेन में पानी भरने के लिए अब पांच मिनट से अधिक ट्रेनों को नहीं रोका जा सकेगा।

धुलाई में इस्तेमाल होगा रिसाइकिल पानी

उत्तर रेलवे अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके प्रतिमाह बूंद-बूंद पानी सहेजने का काम करेगा। यही नहीं एक बार इस्तेमाल हो चुके पानी को रिसाइकिल कर उसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जाएगा। रेलवे द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में यह काफी कारगार साबित होगा। मुरादाबाद मंडल के मुख्य स्टेशनों पर अभी मैनुअल प्रणाली से ट्रेनों की धुलाई की जाती है। इससे एक कोच को धोने में लगभग 1500 लीटर और 24 कोच वाली ट्रेन में लगभग 35 हजार से अधिक लीटर पानी लगता है। अत्याधुनिक तकनीक वाला कोच वाशिंग सिस्टम लगने के बाद एक कोच को धोने में सिर्फ तीन सौ लीटर पानी ही लगेगा।

प्रवर मंडल वाणिज्य प्रबंधक मुरादाबाद रेखा शर्मा ने बताया कि पानी की खपत को कम करने के लि ऑटोमेटिक कोच वाङ्क्षशग सिस्टम उत्तर रेलवे के छह स्टेशनों पर लगाए जाएंगे। पुर्नचक्रण के माध्यम से पानी को दोबारा प्रयोग में लाया जा सकेगा। एक ट्रेन की धुलाई में पानी की खपत भी कई गुना कम हो जाएगी। जून माह में बरेली व मुरादाबाद में यह सिस्टम शुरू हो जाएगा। 


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