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रोजा की लोकोमोटिव शेड में पहुंचा पहला एडवांस डीजल इंजन

मेक इन इंडिया के तहत अमेरिका की जीई ट्रांसपोटेशन कंपनी ने इसे तैयार किया है। इसमें एसी से लेकर टॉयलेट तक की सुविधा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 12:48 PM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 12:48 PM (IST)
रोजा की लोकोमोटिव शेड में पहुंचा पहला एडवांस डीजल इंजन
रोजा की लोकोमोटिव शेड में पहुंचा पहला एडवांस डीजल इंजन

बरेली(जेएनएन)। तीन माह के इंतजार के बाद आखिरकार रोजा जंक्शन के नवनिर्मित लोकोमोटिव डीजल शेड में पहला आधुनिक सुविधाओं से युक्त डीजल इंजन पहुंच गया। अमेरिका की जीई ट्रांसपोटेशन कंपनी द्वारा निर्मित एडवांस इंजन में एसी के साथ ही टॉयलेट की भी सुविधा मौजूद है। डीजल की खपत को कम करने के लिए इसमें 16 के बजाय 12 सिलिंडर लगे हैं। अभी अमेरिका से पंद्रह इंजन भारत पहुंचे है। इनमें से एक को लोकोमोटिव शेड व दो को लखनऊ परीक्षण के लिए भेजा गया है। मेक इन इंडिया के तहत इंजन में लगे अधिकांश पार्टस भारतीय कंपनियों के हैं।

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एडवांस इंजन पहुंचने पर प्रोजेक्ट हेड सुरेंद्र कुमार वर्मा ने लोकोमोटिव शेड का फीता काटकर उद्घाटन किया। इसके बाद स्टेशन अधीक्षक जेपी ¨सह, लोको प्रभारी हर कुमार त्रिवेदी समेत अमेरिका की जी कंपनी के अधिकारियों ने नारियल तोड़कर पहले इंजन का स्वागत किया। स्टेशन अधीक्षक जेपी ¨सह ने बताया कि चौबीस साल पहले रोजा जंक्शन पर मंडल के सभी स्टीम इंजनों की रिपेय¨रग का कारखाना था जो डीजल के इंजन आने के बाद खत्म हो गया। अब इस जगह पर अमेरिका की जीई ट्रांसपोटेशन कंपनी के सहयोग से लोको मोटिव डीजल शेड बनाया गया। इस शेड में अमेरिका में निर्मित करीब ढाई सौ एडवांस डीजल इंजन आएंगे। यह कार्य फरवरी से शुरू होना था, लेकिन शेड का काम समय से पूरा नहीं हो पाया। शेड में होगी 250 इंजन की रिपेय¨रग : प्रोजेक्ट हेड सुरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि अभी तो शेड में 250 एडवांस इंजन की रिपेय¨रग हो सकेगी, लेकिन भविष्य में इनकी संख्या बढ़ाकर 400 तक की जाएगी। इसकी वर्कशॉप काफी अत्याधुनिक है। सामान्य वर्कशॉप में एक इंजन की सर्विस में लगभग आठ लोग लगते थे। जबकि इस शेड में मशीनों की मदद से अब एक कर्मचारी ही इस काम को कर सकेगा। एसी से लेकर टॉयलेट तक की सुविधा : लोको शेड प्रभारी हर कुमार त्रिवेदी ने बताया कि यह इंजन काफी एडवांस है। इसमें एसी के साथ ही टॉयलेट की भी सुविधा है। इससे लंबी दूरी वाले पायलटों को काफी सहूलियत होगी। इंजन में सि¨लडर की संख्या भी 16 से घटाकर 12 कर दी गई है। इससे डीजल की खपत पहले की अपेक्षा काफी कम हो जाएगी। अभी जो डीजल इंजन चल रहे हैं उनकी हर माह मरम्मत जरूरी है। जबकि नए इंजन की मरम्मत तीन माह में एक बार होगी। अमेरिका से 15 इंजन पहुंचे भारत : लोको शेड प्रभारी ने बताया कि समुद्र के रास्ते अमेरिका से 15 इंजन गुजरात के मुंदरकोट स्टेशन पहुंच गए हैं। वहां से तीन इंजन रवाना किए गए थे, इनमें से पहला रविवार को यहां पहुंचा। जबकि दो इंजन लखनऊ में परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह के कुल 250 इंजन आने हैं। इंजन छह दिन पहले बरेली पहुंच गया था, पर लाइन क्लीयर न होने के कारण तीन दिन इंजन चनेहटी व तीन दिन बंथरा में खड़ा रहा।


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