शाहजहांपुर में कई निर्दलीयों ने जीत के लिए नहीं गुरु के सम्मान व सिद्धातों के लिए लड़ा चुनाव
वर्तमान में शाहजहांपुर शहर विधानसभा से 19ंवां चुनाव लड़ रहे वैद्यराज किशन भी जीत के लिए नहीं ख्याति के लिए चुनाव लड़ते है। निवासी विक्रम सिंह कुशवाहा ने राजनीतिक गुरु पूर्व सांसद स्व. प्रेम किशन खन्ना की पहचान व उनके सिद्धांतों के स्मरण के लिए 2012 में चुनाव लड़ा।
बरेली, जेएनएन। चुनाव जीत के लिए ही नहीं, प्रचार, पहचान, ख्याति तथा सिद्धातों के लिए भी लड़ा जाता है। लोकसभा विधानसभा समेत करीब 300 चुनाव लड़ने की वजह से बरेली के काका जोगिंदर सिंह उर्फ धरती पकड़ की विशेष पहचान बनी। वर्तमान में शाहजहांपुर शहर विधानसभा से 19ंवां चुनाव लड़ रहे वैद्यराज किशन भी जीत के लिए नहीं ख्याति के लिए चुनाव लड़ते है। भैंसटा गुटइया निवासी विक्रम सिंह कुशवाहा ने राजनीतिक गुरु स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्व सांसद स्व. प्रेम किशन खन्ना की पहचान व उनके सिद्धांतों के स्मरण के लिए 2012 में चुनाव लड़ा। रामलाल वर्मा ने बसपा व प्रह्लाद सिंह ने दूरदर्शी पार्टी की पहचान के लिए कई चुनाव लड़े। बसपा ने प्रदेश में सरकार भी बनायी, लेकिन सिंद्धांतों की लड़ाई लड़ने वालों ने कभी हार की परवाह नहीं की।
गांधी टोपी लंबा कुर्ता व धोती करकौर के विक्रम सिंह की पहचान है। महात्मा गांधी के प्रभावित परिधान उनकी पहचान है। विक्रम का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्व सांसद स्व. प्रेम किशन खन्ना देश के मसीहा थे। उनके सिद्धांतों पर चलकर कर क्षेत्र का मसीहा बनने का प्रयास किया। पहचान के लिए चुनाव लड़ा।
जनता को आटा चावल शिक्षा व न्याय चाहिए: मैंने 2012 में तिलहर क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा। जनता को आटा, चावल नहीं, निश्शुल्क शिक्षा, सुलभ न्याय, सुनिश्चित रोजगार व सुरक्षा की जरूरत है। चुनी हुई सरकारें अपेक्षा पर खरी नहीं उतरती। इसलिए सिद्धांत व विचारधारा के लिए निर्दलीय लड़ा।- प्रतिपाल सिंह
गुरु के सिंद्धांतों के लिए लड़ा चुनाव: कटरा क्षेत्र में सिउरा व डभौरा दो राजनीतिक घराने में है। जनता को तीसरा विकल्प देने के लिए 2012 में विधानसभा चुनाव लड़ा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. प्रेम किशन खन्ना के सिद्धांतों को आगे रखा। जनता ने 2500 वोट देकर उत्साह बढ़ाया।- विक्रम सिंह
सिद्धांतों पर हो चुनाव पैसा व परिवार पर नहीं: चुनाव में एक ही प्रत्याशी जीतता है, बाकी सभी हारते है। 2012 में यही सोचकर चुनाव लड़ा। मुझे खुशी है कि मैंने उस समय के सिटिंग विधायक को हराया। भले ही 1700 वोट मिले, लेकिन बदलाव में योगदान रहा। चुनाव सिंद्धांतों पर लड़ने चाहिए, पैसा व परिवार पर नहीं।- महिपाल सिंह यादव