Double Murder : पुलिस का दावा, एक तीर से दो निशाने साधना चाहती थीं रूपा Bareilly News
एक तरफ नीरज का कत्ल हो जाता। वहीं रूपा की चीख-पुकार सुनकर आस-पड़ोस के लोग मौके पर आ जाते।
बरेली, जेएनएन : हत्याकांड के पर्दाफाश करते वक्त पुलिस की कहानी के अनुसार रूपा एक तीर से दो निशाने साधना चाह रही थीं। एक तरफ पति की मौत हो जाती, दूसरी तरफ कातिल भी रंगे हाथों पकड़ा जाता।
पुलिस ने बताया कि रूपा ने अनुराग से पांच लाख में पति के कत्ल का सौदा किया था। ऐसे में अगर माना जाए कि रूपा की साजिश कामयाब हो जाती तो इसका मतलब यह था कि वह एक तीर से दो निशाने साधतीं। एक तरफ नीरज का कत्ल हो जाता। वहीं रूपा की चीख-पुकार सुनकर आस-पड़ोस के लोग मौके पर आ जाते। कातिल रंगे हाथों पकड़ा जाता। ऐसे में जो रूपा जो कहतीं, पुलिस भी वही सही मानती। किसी को यकीन ही नहीं होता। लेकिन रूपा ऐसा क्यों और किसके लिए करतीं, इस सवाल का जवाब अभी मिलना बाकी है।
चोट का इलाज कराने के लिए लौट रहा था बरेली तभी पकड़ा गया
वारदात के बाद छत से कूदने के दौरान अनुराग की रीढ़ की हड्डी में चोट आई है। घटना के बाद वह ऑटो से डेलापीर होते हुए सेटेलाइट चौराहे पहुंचा। यहां बस से दिल्ली गया। दिल्ली में गुरु तेग बहादुर अस्पताल में भर्ती हुआ। यहां डाक्टरों ने बताया कि इलाज लंबा चलेगा। हो सकता है आपरेशन करना पड़े। अपने रिश्तेदारों को बुला लो। तब यहां से वह आगरा अपनी बहन के यहां चला गया। आगरा में डॉक्टर को दिखाया तो उसने भी इलाज में काफी खर्चा बताया। बताते हैं तभी बहन को पता चल गया कि अनुराग मर्डर करके भागा हुआ है। उसने एंबुलेंस करके उसे बरेली के रुहेलखंड अस्पताल भेज दिया। यहां आते समय ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
रिटायरमेंट के दिन सुलझी रूपा के कत्ल की गुत्थी
सत्संगी दंपती की हत्या के बाद बुधवार को हत्यारोपित ने एक-एक कर पूरे मामले से पर्दा उठाया तो सब दांतों तले अंगुलियां दबा ली। खुलासे की अगर सबसे अधिक कहीं चर्चा रही तो वह था बैंक जहां रूपा नौकरी करती थी। बैंककर्मियों को विश्वास नहीं हो रहा था कि 2004 से पति के पैरालाइसिस अटैक के बाद रूपा उनके इलाज के लिए जिस तरह उनसे चर्चा करतीं और हर समय परेशान रहतीं, सहकर्मी भी भगवान से उनके पति की ठीक होने की कामना करते थे। रूपा का 31 जुलाई को रिटायरमेंट था। घटना के बाद हर शख्स कातिल को कोस रहा था। आज रूपा के रिटायरमेंट के दिन जब उनकी हत्या का खुलासा हुआ तो उनके सहकर्मी भी दंग रह गए। उन्हें रूपा द्वारा साजिश की बात हजम नहीं हुई।
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श्मशान से निकला कातिल का सुराग
25 जुलाई की दोपहर। राजेंद्रनगर के प्रतिष्ठित सत्संगी परिवार की दो लाशें श्मशान में जल रहीं थीं। तमाम लोगों का हुजूम उनकी पुरानी बातें याद रहा, साथ में यह चर्चा भी कि आखिर किसने दोनों की हत्या कर दी। दूसरी ओर पुलिस वाले कुछ वर्दी में थे तो कुछ बा-वर्दी। उनकी निगाहें किसी को तलाश रही थीं। तलाश वो जो पूरी भी हुई। श्मशान में लगी उसी भीड़ से पुलिस को ऐसा सुराग मिला जिससे वह कातिल तक पहुंच गई।
जो अंतिम संस्कार में न आए, वही संदिग्ध
जब अंतिम संस्कार हो रहा था, तभी एसएसपी मुनिराज. जी ने श्मशान में पुलिस टीम भेजी। यह जानने के लिए कि देखा जाए कौन-कौन परिचित व करीबी अंतिम संस्कार में आया और कौन नहीं। घटनाक्रम जानने के बाद यह तो साफ हो ही चुका था कि वारदात किसी करीबी ने की है। ऐसे में जो करीबी अंतिम संस्कार में नहीं आएगा, वही संदिग्ध होगा।
पड़ोसी क्यों नहीं आया
पुलिस टीमें कभी दिलासा देते हुए तो भी अपने मुखबिरों से पूछती जा रहीं थीं कि कॉलोनी के कौन से पड़ोसी आस हैं, कौन नहीं आए। इसी बीच पता चला कि सत्संगी दंपती के घर के सामने रहने वाला अनुराग नहीं आया है। यही पुलिस के लिए पहला सुराग था।
वारदात के बाद जारी किया गया था सीसीटीवी फुटेज। जागरण
और यहां से राजफाश की शुरूआत
पुलिस ने जब मोबाइल में अनुराग की फेसबुक आइडी से जब उसका फोटो मिलाया तो वह फुटेज से मैच खा गया। बस फिर क्या था। इसके बाद पुलिस अनुराग की तलाश में जुट गई। मंगलवार की रात को उसे पकड़ने में सफलता हासिल कर ही ली।
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- ऐसे गहराया अनुराग पर शक
1- घनिष्ठ था फिर आया क्यों नहीं
अंतिम संस्कार के बाद पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि अनुराग की इस परिवार से काफी घनिष्ठता थी। घर आना-जाना था, लंबे समय से वह रूपा को बैंक ले जाता था। इसके बावजूद वह अंतिम संस्कार में क्यों नहीं आया, इसकी वजह तलाशी जाने लगी।
2- मोबाइल नंबर क्यों नहीं बताया
अगले दिन पुलिस अनुराग के घर पहुंची। पता चला कि वह बुधवार से घर नहीं आया। पत्नी व बच्चों ने फोन नंबर मांगा मगर उन्होंने नहीं दिया। कॉलोनी वालों से जानकारी जुटाई तो उनका भी कहना था कि बुधवार की सुबह को दिखा मगर बाद में नहीं।
3- पुलिस की आवाज सुनते ही क्यों काटा फोन
पुलिस अनुराग की बहन के पास गई। उनसे अनुराग का फोन मिलवाया तो रिसीव हो गया। जैसे ही बहन ने कहा कि पुलिस बात करना चाहती है और इंस्पेक्टर ने हेलो कहा, अनुराग ने तुरंत फोन काट दिया।
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परिजन बोले - कातिल सही, कहानी झूठी
सत्संगी दंपती हत्याकांड का राजफाश पुलिस ने कर दिया मगर परिजन इससे संतुष्ट नहीं। वे पुलिस की कहानी से बेहद आहत हैं। कहा कि कातिल को सही पकड़ा गया है मगर पुलिस कत्ल की जो वजह बता रही है वह गलत है।
नीरज सत्संगी के भाई संजय, प्रेम व उनके बेटे जतिन का कहना है कि अगर रूपा सत्संगी ने ऑटो चालक को पति को मारने के लिए बुलाया था तो उसने उन्हें क्यों मारा। चीखने निकलने पर वह उनका मुंह दबाकर चुप करा सकता था। अगर कोई व्यक्ति किसी को मारने के लिए बुलाएगा तो खुद क्यों चीखेगा। उनका दूसरा सवाल यह था कि खुद पुलिस कह रही है कि रूपा ने ढाई लाख रुपये घटना के दिन देने की बात कही थी, पुलिस ही कह रही है कि ऑटो चालक एक बैग लेकर भागा। यानी उसमें रुपये थे तो वे कहां गए। पुलिस ने तो महज 2162 रुपये बरामद होना दिखाए है। सत्संगी परिवार का कहना है कि पुलिस ने घटना का जो तानाबाना बुना है उससे परिवार को काफी ठेस पहुंची है। वारदात के बाद से ही सत्संगी दंपती के पारिवारिक मित्र अजय शुक्ला हर मौके पर घरवालों के साथ रहे।
इन सवालों के जवाब मांग रहे परिजन
- अगर रूपा खुद मर्डर करातीं तो चीखतीं क्यों
- अगर ढाई लाख रुपये देने की बात कही तो वह रुपये कहां हैं
- अगर पति का मर्डर करवाना होता तो अपने पीछे करातीं, सामने क्यों
- बैंक से लेकर कॉलोनी तक सबने आचरण अच्छा बताया, पुलिस की कहानी फर्जी
- जो हत्या करा रहा है उसे ही कातिल क्यों मारेगा
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छत से कूदते हुए देखा था महिला ने
इंस्पेक्टर प्रेमनगर बलवीर सिंह ने बताया कि वारदात के बाद अनुराग जब छत से कूदा तो एक महिला ने उसे देख लिया था। पीछे गली में दो-चार लोग टहल रहे थे। जबकि आगे कई लोग आ-जा रहे थे। लोग इकट्ठा थे। शोरगुल हो रहा था। सबको पता था कि वारदात हुई है। बावजूद सबकी आंखों के सामने कातिल आसानी से चला गया।
ब्यूटी पार्लर चलाती थी कातिल की पत्नी
कातिल अनुराग की पत्नी अमीषा ब्यूटी पार्लर चलाती थी। जनवरी में सत्संगी दंपती के बेटे जतिन की शादी के बाद यहां उनका रिसेप्शन हुआ था। अनुराग की पत्नी ने जतिन की पत्नी और रूपा का भी मेकअप किया था। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन अमीषा का ही पति ही इस दंपती का कत्ल कर देगा।
बहन लड़ चुकी विस व महापौर का चुनाव
ऑटो चालक अनुराग उर्फ अन्नू कुछ समय पहले रूपा के घर के सामने जिस मकान में रहता था, वह उसकी बहन का था। चार महीने पहले मकान बेच दिया गया तो उसने राजेंद्रनगर में ही किराये पर कमरा ले लिया। अनुराग की बहन यहां से विधायक और महापौर पद का चुनाव भी लड़ चुकी है। हालांकि जीती कभी नहीं।
सट्टा किंग का है रिश्तेदार है अनुराग
अनुराग का एक रिश्तेदार लंबे समय तक बदायूं का सट्टा किंग रह चुका है। उसकी बहन का घर चूंकि सत्संगी परिवार के ठीक सामने था इसलिए आवाजाही रहती थी। मार्च में उसकी बहन ने यह मकान बेच दिया, जिसके बाद अनुराग ने सड़क पार कर राजेंद्रनगर में ही छह हजार रुपये किराये पर मकान लिया।
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बेटा कर तो नहीं सकता ऐसा: पुष्पा
अनुराग उर्फ अन्नू की मां पुष्पा देवी घर के दरवाजे पर अकेले बैठी थीं। बोलीं कि बेटे का आज तक किसी से झगड़ा तक नहीं हुआ। वह पहले किराये पर ऑटो चलता था, अब खुद का खरीद लिया। कुछ दिन से ऑटो खराब होने पर मरम्मत कराने के लिए दिया है। जिस दिन की घटना बताई जा रही, अनुराग अपनी दोनों बेटियों के लिए समोसे दिलाकर गया। उसके बाद नहीं लौटा। दो दिन पहले उसकी पत्नी बेटियों को लेकर मायके चली गई। पुष्पा देवी बोलीं कि मूल रूप से पीलीभीत में लक्ष्मी टाकीज के पास गोपाल सिंह मुहल्ले की रहने वाली हैं। वहां कुछ लोगों ने दुकान पर कब्जा कर लिया। विवाद हुआ तो बरेली आकर बस गईं।
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