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Bareilly: हेट स्पीच मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलेमा ने ठहराया सही, कहा- नफरती भाषणों पर लगेगी रोक

मौलाना ने आरोप लगाते हुए कहा कि अभद्र भाषा मीडिया चैनलों पर होने वाली बहस का हिस्सा भी बन गई है। ये चैनल जानबूझकर हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के खिलाफ एक अंतहीन युद्ध में पेश करते हैं जिसका कोई संभावित समाधान नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Vivek BajpaiPublished: Sun, 27 Nov 2022 02:45 PM (IST)Updated: Sun, 27 Nov 2022 02:45 PM (IST)
Bareilly: हेट स्पीच मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलेमा ने ठहराया सही, कहा- नफरती भाषणों पर लगेगी रोक
दरगाह आला हजरत से जुड़े मौलाना शहाबुद्दीन रजवी। जागरण आर्काइव

बरेली, जागरण संवाददाता। दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन आल इंडिया मुस्लिम जमात की बैठक हुई, जिसमें जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि हाल के वर्षों में अभद्र भाषा एक आदर्श बन गई है।  इसको प्रयोग करने वाले अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता के नाम पर इसे सही ठहराते हैं। साथ ही, यह उस समुदाय के अस्तित्व की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है, जिसकी ओर उसे निर्देशित किया जाता है। हेट स्‍पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश बिल्‍कुल सही है। इससे नफरती भाषणोंं पर रोक लगेगी। 

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मौलाना ने आरोप लगाते हुए कहा कि अभद्र भाषा मीडिया चैनलों पर होने वाली बहस का हिस्सा भी बन गई है। ये चैनल जानबूझकर हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के खिलाफ एक अंतहीन युद्ध में पेश करते हैं, जिसका कोई संभावित समाधान नहीं है। हालांकि, वे भूल जाते हैं कि संविधान समानता के सिद्धांत को कायम रखता है और प्रत्येक को बंधुत्व बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।

इतिहास की पुनर्व्याख्या और घृणास्पद भाषणों के माध्यम से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को सही ठहराने के लिए बयान देते हैं। नफरत की इस राजनीति में धर्म दूसरे के विमर्श को वैधता प्रदान करने का एक लामबंद उपकरण बन जाता है। धार्मिक नेता भी इस नकारात्मक अभियान का हिस्सा बन जाते हैं, विभाजनकारी बयान देते हैं, जिससे ध्रुवीकरण तेज होता हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हेट स्पीच के विरुद्ध याचिकाओं पर विचार किया है और मामले को गंभीरता का संज्ञान लिया है।

शीर्ष अदालत ने तीन राज्‍यों को दिया था आदेश 

दारूल उलूम शाने आला हजरत के प्रधानाचार्य मुफ्ती शेख सिराजुद्दीन कादरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र और नागरिकों के बीच बंधुत्व की परिकल्पना करता है। व्यक्ति की गरिमा को सुनिश्चित करता है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों को तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया।

मिसाल बनेगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

समाजसेवी हाजी नाजिम बेग नूरी ने कहा शीर्ष अदालत का फैसला देश में बढ़ते ध्रुवीकरण और नफरत की गति को रोकने में मिसाल कायम करेगा। सय्यद शाहबान अली ने कहा कि अब भड़काऊ भाषण पर रोक लगेगी। बैठक में मौलाना हसनैन रजा, मौलाना दिलकश, मौलाना अबसार अहमद, डा. नदीम कादरी, डा. अनवर रजा, जिला तहसीन खान, शहर अध्यक्ष जारिफ गद्दी, सय्यद तय्यब चिश्ती आदि मौजूद रहे।

यह था सुप्रीम कोर्ट का आदेश

नफरत फैलाने वाले भाषणों पर चिंता जताते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा था ऐसे मामलों में किसी शिकायत का इंतजार किए बगैर सरकारें स्‍वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करें। विभिन्‍न धर्मों के लोग जब तक सौहार्द से नहीं रहेंगे तब तक बंधुत्व कायम नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को दिए थे। इसके साथ ही चेतावनी भी दी थी कि प्रशासन ने अगर इसमें कोताही बरती तो यह कोर्ट की अवमानना होगी। इस पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।


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