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डंडे के बल पर लागू नहीं कराएंगे शरीयत का हुक्म

तीन तलाक और हलाला पर देश भर में शोर मचने के बाद उलमा-ए-कराम ने अब हर जुमे को शरीयत पर रोशनी डालने का फैसला किया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 11:25 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 11:25 PM (IST)
डंडे के बल पर लागू नहीं कराएंगे शरीयत का हुक्म
डंडे के बल पर लागू नहीं कराएंगे शरीयत का हुक्म

जागरण संवाददाता, बरेली : तीन तलाक और हलाला पर देश भर में शोर मचने के बाद उलमा-ए-कराम ने अब हर जुमे को शरीयत पर रोशनी डालने का फैसला किया है। दरगाह आला हजरत के संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के पैगाम पर जुमे को मस्जिदों में यह नजारा दिखा भी। शहर से लेकर गांवों तक की मस्जिदों में इमाम हजरात ने शरीयत के बारे में बयान फरमाया। कुरान शरीफ के हवाले से तलाक और हलाला के मायने समझाए।

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जामा मस्जिद में तकरीर करते हुए शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने कहा कि दरगाह आला हजरत से फतवे जारी होते रहे है, और होते रहेंगे। फतवों के जरिये शरीयत के हुक्म को सामने रखते हैं। विभिन्न मसलों पर अल्लाह और उसके रसूल के फरमान बताए जाते हैं। इसी तरह का एक फतवा हलाला को लेकर दिया गया है। इसमें किसी का नाम नहीं था। सवाल किया गया था और उसका जवाब था। जिन्होंने भी बयान देकर हलाला पर गलत बयानी की थी, उन पर शरीयत का क्या हुक्म लागू होगा, यह बताया था। शरीयत का हुक्म बताना उलमा का काम है। हमने अपना काम कर दिया। अब उसे मानना उन लोगों का काम है, जिन्होंने शरीयत की मुखालफत की है। शहर इमाम ने यह भी साफ किया कि शरीयत का हुक्म डंडा लेकर लागू नहीं कराया जा सकता। फतवा रहमत है, किसी पर जुल्म नहीं है। न ही उसे जबरन लागू कराएंगे। नमाज के बाद शहर काजी ने सबके हक में दुआ की। मुल्क में अमन कायम रहने के लिए अल्लाह से गुजारिश की। इसी तरह शहर की अन्य मस्जिदों में भी निकाह और हलाला से जुड़े मसाइल पर रोशनी डाली गई। इमाम हजरात ने कहा कि शरीयत अल्लाह का कानून है। इसमें किसी तरह की तब्दीली मुमकिन नहीं है। मुसलमान कुरान शरीफ पढ़ें। अपने बच्चों को दीनी तालीम दिलाएं। घर का माहौल ऐसा बनाएं कि लड़ाई, झगड़े और तलाक जैसी नौबत न आए। इस्लाम ने मर्द-औरत दोनों को बेशुमार हक दिए हैं। अफसोस कि कुछ लोग शरीयत को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।

हज मुकम्मल की दुआ

दरगाह शाहदाना वली में जुमे की नमाज में हज पर तफसील से रोशनी डाली गई। बताया गया कि अल्लाह के घर में हर गरीब-अमीर एक बराबर है। सभी नमाजियों ने आजमीन-ए-हज का हज मुकम्मल होने की दुआ की।


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