Move to Jagran APP

बर्फीली सरहद की निगेहबानी करने वाले हिमवीर बने तारणहार, उत्तराखंड त्रासदी में बचा रहे लोगो की जान

Indo Tibetan Border Police Day भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल यानी आइटीबीपी। देश में बर्फीली सरहद के एक बड़े हिस्से की सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं जवानों की है। यही वजह है कि इन्हें हिमवीर भी कहते हैं। महज भारत की बर्फीली सीमा की सुरक्षा ही नहीं करते।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 04:14 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 04:14 PM (IST)
बर्फीली सरहद की निगेहबानी करने वाले हिमवीर बने तारणहार, उत्तराखंड त्रासदी में बचा रहे लोगो की जान
बर्फीली सरहद की निगेहबानी करने वाले हिमवीर बने तारणहार, उत्तराखंड त्रासदी में बचा रहे लोगो की जान

बरेली, जेएनएन। Indo Tibetan Border Police Day: भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल यानी आइटीबीपी। देश में बर्फीली सरहद के एक बड़े हिस्से की सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं जवानों की है। यही वजह है कि इन्हें हिमवीर भी कहते हैं। महज भारत की बर्फीली सीमा की सुरक्षा ही नहीं, उत्तराखंड जैसी त्रासदी में भी ये जवान मौत की आगोश में जा रहे लोगों के लिए तारणहार बने हैं। खास बात कि बरेली में आइटीबीपी बुखारा कैंप स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय से जुड़ी वाहिनी की इसमें अहम भूमिका रही है। 24 अक्टूबर को भारत तिब्बत सीमा पुलिस का 60वां स्थापना दिवस है। ऐसे में जानते हैं आइटीबीपी से जुड़ी कुछ अहम जानकारी।

loksabha election banner

मैकमोहन रेखा की सुरक्षा के लिए 1962 में हुआ था गठन 

आइटीबीपी से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 1962 में भारत-चीन के बीच हुए भीषण युद्ध में राजनीतिक अपरिपक्वता के कारण भारत की करारी हार हुई थी। इसके फौरन बाद मैकमोहन रेखा (भारत-चीन सीमा) की बेहतर, समयबद्ध व सतत कड़ी हिफाजत सीमा सुरक्षा के लिए 24अक्टूबर को आइटीबीपी फोर्स की स्थापना की थी। तब से यह फोर्स देश की 3488 किलोमीटर सीमा की सुरक्षा करती है। इसमें कराकोरम, शिपकिला दर्रा, लिपुलेख दर्रा, नाथुला दर्रा, जाचेप ला पर निरंतर मुस्तैदी से सतत चौकसी कर रही है।

स्पेशल 16 में शामिल हिमवीर प्रमोद ने बचाई थीं दर्जनों जान 

उत्तराखंड त्रासदी के दौरान भी भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) के बुखारा कैंप से जुड़ी बटालियन के जवानों ने मोर्चा संभाला था। इनमें एक नाम उस वक्त काफी चर्चा में आया था, हिमवीर प्रमोद कुमार सिंंह। आइटीबीपी में हेड कांस्टेबल प्रमोद वर्ष 2013 से 2017 तक तक बुखारा कैंप स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय में तैनात रह चुके थे। त्रासदी के बाद लगातार रेस्क्यू आपरेशन कर प्रमोद ने दर्जनों जान बचाई थीं। प्रमोद ऐसे हिमवीर हैैं, जिन्हें पहाड़ और बर्फीले क्षेत्र में चढ़ाई का माहिर माना जाता है। इसीलिए राहत व बचाव कार्य में प्रमोद की उपयोगिता बढ़ गई थी। प्रमोद तब आइटीबीपी की स्पेशल 16 टीम का हिस्सा भी थे।

समाजसेवा और पर्यावरण के प्रति भी संजीदा 

आइटीबीपी जवान केवल सुरक्षा और बचाव में ही माहिर नहीं हैं। पर्यावरण की सुरक्षा और सामाजिक योगदान में भी काफी आगे हैं। समय-समय पर सफाई अभियान, रक्तदान शिविर करने के साथ पौधों को लगाने और पेड़ बनने तक इनकी जिम्मेदारी संभालने में भी आगे हैं। यही नहीं महिला सशक्तीकरण के लिए आसपास के गांवों की बेटियों को आत्मरक्षा के गुर भी यहां के जवान समय-समय पर सिखाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.