बरेली में जीआइएस सर्वे से तलाशे जाएंगे छिपे हुए मकान, निगम का बढ़ेगा राजस्व
शहर में छिपे हुए भवनों को तलाशने के लिए जीआइएस सर्वे शुरू किया जा रहा है। इसमें अब नगर निगम की टीम भी मौजूद रहेगी। निगम के आंकड़ों के हिसाब से हर मुहल्ले की गली मकानों को ट्रेस किया जाएगा। इसके लिए निगम के कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है।
जागरण संवाददाता, बरेली: शहर में छिपे हुए भवनों को तलाशने के लिए जीआइएस सर्वे शुरू किया जा रहा है। इसमें अब नगर निगम की टीम भी मौजूद रहेगी। निगम के आंकड़ों के हिसाब से हर मुहल्ले की गली, मकानों को ट्रेस किया जाएगा। इसके लिए निगम के कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है।
बरेली नगर निगम क्षेत्र में 5.5 लाख से अधिक मकान हैं। बावजूद इसके नगर निगम के आंकड़ों में मकानों की संख्या अब तक मात्र 1.5 लाख है। इनमें से भी करीब 45 हजार घरों से ही निगम को टैक्स प्राप्त होता है। तेजी से बढ़ते शहर में मकानों की गिनती मुश्किल है। इस कारण निगम को राजस्व भी नहीं मिल पा रहा है।
इसके लिए शासन ने शहर का जीआइएस (जियोग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम) सर्वे करने का निर्णय लिया है। शासन से नियुक्त निजी संस्था के साथ नगर निगम के कर्मचारी हर गली-मुहल्ले में पहुंचकर सर्वे करेंगे। सेटेलाइट की मदद से डेटा तैयार किया जाएगा। शुरुआत में शहर के आठ वार्डों में निजी एजेंसी के साथ टैक्स विभाग की टीम सर्वे करेगी। नए आवासों का डेटा तैयार कर नगर निगम उस पर टैक्स लगाएगा। एजेंसी के सदस्यों की ओर से गुरुवार शाम नगर निगम सभागार में सर्वे की कार्ययोजना बताई गई। कहा, इससे सभी भवनों के बारे में स्पष्ट जानकारी होगी। जो टैक्स नहीं दे रहे हैं, उनकी हकीकत भी सामने आएगी। निगम के राजस्व में भी वृद्धि होगी। अपर नगर आयुक्त श्यामलता आनंद, कर निर्धारण अधिकारी ललतेश कुमार सक्सेना आदि मौजूद रहे।
इस तरह तैयार होगा डेटा
एजेंसी के सदस्यों के साथ नगर निगम की टीम वार्ड में सभी घरों व अन्य प्रतिष्ठानों पर जाएगी। मकान मालिक का नाम, वार्ड संख्या, कालोनी, मुहल्ले का नाम, मकान में कितने कमरे हैं, मकान का साइज आदि का विस्तृत डेटा तैयार किया जाएगा। जरूरी दस्तावेज भी एकत्र किए जाएंगे। मकान की भौगोलिक स्थिति उसके फोटो के साथ रिकार्ड की जाएगी। हर मकान का विस्तृत डेटा साफ्टवेयर में दर्ज किया जाएगा।