जुगाड़ के भोजन से सुधर रही संक्रमितों की सेहत
कोरोना संक्रमण से निजात के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं। बेहतर खानपान के जरिए इम्यून सिस्टम मजबूत कर ही फिलहाल वायरस से निजात पाया जा सकता है। राज्य सरकार ने प्रति कोरोना संक्रमित एक दिन की डाइट के लिए 80 रुपये तय किए। हालांकि एक समय का बेहतर नाश्ता और दो समय के पौष्टिक भोजन के लिहाज से नाकाफी साबित हुए। इसके बाद स्वास्थ्य महकमे ने जुगाड़तंत्र अपनाया।
बरेली, जेएनएन : कोरोना संक्रमण से निजात के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं। बेहतर खानपान के जरिए इम्यून सिस्टम मजबूत कर ही फिलहाल वायरस से निजात पाया जा सकता है। राज्य सरकार ने प्रति कोरोना संक्रमित एक दिन की डाइट के लिए 80 रुपये तय किए। हालांकि एक समय का बेहतर नाश्ता और दो समय के पौष्टिक भोजन के लिहाज से नाकाफी साबित हुए। इसके बाद स्वास्थ्य महकमे ने जुगाड़तंत्र अपनाया। अब शहर के व्यापारी और समाजसेवियों की मदद से कोरोना संक्रमितों को स्वास्थ्यवर्धक फल और बेहतर नाश्ता मुहैया हो रहा। पहले मंत्री की फटकार और ठेकेदार का इनकार
कुछ दिन पहले प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा ने वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए जिले के कोविड एल-1 बिथरी में भर्ती संक्रमितों से बात की थी। इस पर उन्होंने खाने की क्वालिटी अच्छी न होने की शिकायत की थी। इस पर प्रभारी मंत्री ने सीएमओ को खुद इसकी मॉनीटरिग करने के आदेश दिए थे। इस पर सीएमओ डॉ. विनीत शुक्ला ने ठेकेदार को बुलाकर गुणवत्ता सुधारने के बारे में कहा तो उसने अस्सी रुपये में वैरायटी देने से इनकार कर दिया। फिर अंगुली चाटने लगे मरीज, सुधरने लगी सेहत
सरकार से मिल रही रकम नाकाफी थी। मरीजों को बेहतर खाने की मदद से स्वस्थ भी करना था। ऐसे में संक्रमितों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पौष्टिक आहार दिलाने के लिए सीएमओ शहर के कुछ व्यापारियों, समाजसेवियों और विभाग में काम करने वाले ठेकेदारों से मिले। उनसे बात की तो सभी ने मिलजुलकर जिम्मेदारी ली। फिर खाने की गुणवत्ता ऐसी सुधरी की बिथरी में भर्ती संक्रमित, तीन सौ बेड और आइवीआरआइ में क्वारंटाइन लोग अंगुली चाटने लगे। सुबह के नाश्ता, फल और दूध आदि की भी व्यवस्था हो गई। संक्रमित ने कहा- खाने का सिस्टम बहुत अच्छा
कोविड एल-1 बिथरी में भर्ती एजाज नगर गौटिया के एक संक्रमित युवक से फोन पर हुई बातचीत में उसने बताया कि खाना काफी अच्छा मिल रहा है। बताया कि सुबह के समय चाय, पूड़ी और सब्जी मिलती है। इसके बाद दोपहर में खाना मिलता है, जिसमें हर रोज अलग-अलग सब्जी और दाल के अलावा रोटी, चावल और रायता दिया जाता है। शाम के समय दूध और फल आता है। रात में फिर खाना दिया जाता है। ----------
मौजूद संसाधन में खाना पूर्व में भी बेहतर ही दिया जा रहा था। लेकिन गुणवत्ता की शिकायत मिली तो इसमें और सुधार किया गया। इसके लिए समाजसेवियों, व्यापारियों से उनकी इच्छानुसार मदद ली गई। जिले में संक्रमितों और क्वारंटाइन लोगों के लिए सबसे अच्छे खाने और मैन्यू का इंतजाम किया गया है।
- डॉ. विनीत शुक्ला, सीएमओ