तयशुदा और जबरन हलाला हराम
तलाक देते ही शौहर और बीवी का रिश्ता खत्म हो जाता है।
जागरण संवाददाता, बरेली : तलाक देते ही शौहर और बीवी का रिश्ता खत्म हो जाता है। तलाक के बाद मर्द (पूर्व पति) औरत पर किसी तयशुदा शख्स के साथ हलाला करने का दबाव नहीं डाल सकता। यह औरत पर निर्भर करता है कि वो हलाला करना चाहती है या नहीं। औरत की मर्जी बगैर कराया गया हलाला भी जायज नहीं है। यह भी ख्याल रखने की जरूरत है कि हलाला जिसके साथ जायज है, उसी के साथ हो सकता है। यह कहना है तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी कहते हैं कि तलाक देने के बाद कोई शख्स औरत के साथ किसी तरह की जोर-जबरदस्ती नहीं कर सकता है। हलाला के मामले में वह औरत को अपनी राय तो दे सकता है कि फलां इंसान के साथ हलाला कर सकती हैं। इस पर राजी होना या न होना औरत की मर्जी है।
इनके साथ नहीं हो सकता हलाला
-औरत अपने भाई, दामाद, ससुर आदि के संग हलाला नहीं कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह जायज नहीं माना जाएगा। मौलाना शहाबुद्दीन कहते हैं कि किसी औरत के ससुर के साथ हलाला जैसा कोई मामला हुआ है तो यह नाजायज है। इस पर कुछ बोलना ठीक नहीं। यह जांच का विषय है। हलाला एक प्रक्रिया है
-मौलाना शहाबुद्दीन कहते हैं कि हलाला के बाद औरत तीन महीने दस दिन इद्दत के पूरे करती है। इसके बाद वो अपने पहले शौहर के साथ निकाह कर सकती है। हलाला के निकाह में यह स्पष्ट होता है कि जिसके साथ हलाला हुआ वो इसके फौरन बाद औरत को आजाद कर दे। ताकि औरत अपने पहले शख्स के साथ शादी कर सके।
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