सादगी से मना हाजी सय्यद बहादुर शाह वली का तीन रोजा उर्स
उर्से मुबारक की शुरुआत 12 नवम्बर को हुई थी। 13 नवम्बर को बाद नमाज़े जोहर इरफान कुरैशी शिरोज़ सैफ कुरैशी बिलाल कुरैशी आदि ने सादगी के साथ चादरपोशी की रस्म अदा की। बाद नमाज़े ईशा तकरीरि महफ़िल में बुजुगों की शख्सियत को बयां किया गया
बरेली, जेएनएन। आजमनगर में हजरत हाजी सय्यद बहादुर शाह वली के उर्स ए मुबारक की शुरुआत बाद नमाजे फ़ज़र कुरआन ए पाक की तिलावत से हुई। उर्से मुबारक की शुरुआत 12 नवम्बर को हुई थी। 13 नवम्बर को बाद नमाज़े जोहर इरफान कुरैशी, शिरोज़ सैफ कुरैशी, बिलाल कुरैशी आदि ने सादगी के साथ चादरपोशी की रस्म अदा की। बाद नमाज़े ईशा तकरीरि महफ़िल में बुजुगों की शख्सियत को बयां किया गया। इस मौके पर उलमा में मौलाना साजिद रज़ा खां, मौलाना फुरकान, मौलाना आरिफ रज़ा, मौलाना सनाउल्लाह आदि ने अपनी अपनी तकरीरों में तालीम हासिल करने पर ज़ोर दिया। सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर कुल शरीफ़ की रस्म सादगी के साथ अदायगी हुई और कोरोना के खात्मे के लिये दुआ की गई। आखिर में हाज़रिन अक़ीदतमन्दो को तबर्रूक तस्किम किया गया। बरेली हज सेवा समिति के पम्मी खान वारसी ने भी हाज़री दी। इस मौके पर शिरोज़ सैफ कुरैशी, बिलाल कुरैशी, इरफान कुरैशी, आदिल कुरैशी, ज़फ़र कुरैशी, आसिम क़ुरैशी, जुनैद क़ुरैशी, अज़ीम क़ुरैशी आदि शामिल रहे।