महापौर जी, प्लांट की जमीन बेचने पर शासन लगा चुका रोक
जागरण संवाददाता, बरेली : रजऊ परसपुर स्थित इन्वर्टिस विश्वविद्यालय के बगल की जमीन को प्लाट बनाकर बेचन
जागरण संवाददाता, बरेली : रजऊ परसपुर स्थित इन्वर्टिस विश्वविद्यालय के बगल की जमीन को प्लाट बनाकर बेचने के जिस प्रस्ताव पर महापौर और पूर्व महापौर में जुबानी जंग छिड़ी है, उसपर शासन ने उसी वर्ष रोक लगा दी थी। पार्षदों ने अध्यादेश का हवाला देते हुए शासन में शिकायत की थी, जिसके बाद शासन ने साफ तौर पर जमीन का इस्तेमाल ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए ही किए जाने के निर्देश दिए थे।
बोर्ड ने गलत तरीके से पास किया था प्रस्ताव
कार्य संपादन नियमावली 1960 नियम संख्या आठ के अनुसार, कार्यकारिणी समिति की बैठक में लगने वाला हर प्रस्ताव उसके एजेंडे में शामिल होना चाहिए। 24 अप्रैल 2002 को हुई कार्यकारिणी बैठक में छह अन्य प्रस्ताव लगा दिए गए। इसमें एक प्रस्ताव रजऊ परसपुर की भूमि को बेचकर अन्यत्र खरीदने का था। इसके खिलाफ तत्कालीन पार्षद जितेंद्र सक्सेना बबलू ने मोशन दिया। बावजूद इसके प्रस्ताव बोर्ड बैठक में भेज दिया गया। एक अगस्त 2002 को बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पेश हुआ तो तत्कालीन पार्षद राजेश तिवारी, सतीश मम्मा, विकास शर्मा और निर्मल पंत ने विरोध में मोशन लगा दिया। बावजूद इसके बोर्ड से प्रस्ताव पास कर दिया गया।
पार्षदों की शिकायत पर लगी रोक
बोर्ड की बैठक में गलत तरीके से प्रस्ताव पास किए जाने के खिलाफ तत्कालीन पार्षद राजेश तिवारी, सतीश मम्मा ने शासन में शिकायत की थी। बताया था कि नगर निगम ने तीन नवंबर 1977 को किसानों से रजऊ परसपुर में 21.20 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया, जिसका शासन ने गजट नोटिफिकेशन जारी किया। इसके अनुसार किसान की जमीन जिस उद्देश्य के लिए अधिग्रहित की गई है, उसका इस्तेमाल उसी उद्देश्य के लिए होना है। शासन के निर्देश पर तत्कालीन सीडीओ अजय चौहान ने मामले की जांच की। जांच के बाद शासन ने नवंबर 2002 में प्रस्ताव पर रोक लगा दी। वर्जन ----
किसी भी प्रस्ताव पर शासन का निर्णय अंतिम होता है। शासन के निर्णय के खिलाफ अपील नहीं की जाती है, सिर्फ पुनरीक्षण याचिता दायर की जाती है। जमीन बेचने के प्रस्ताव पर शासन ने रोक लगाई है।
-राजेश तिवारी, अधिवक्ता व पूर्व पार्षद
---- वर्ष 2002 में बोर्ड में पास हुए जमीन बेचने के प्रस्ताव के खिलाफ हमने शासन में शिकायत की थी। उसका जवाब हमारे पास नहीं आया। प्रस्ताव पर रोक लगाने का अधिकार शासन को है।
-सतीश कातिब मम्मा, पार्षद