शासन ने पकड़ा स्वास्थ्य विभाग का खेल, लक्ष्य पूरा करने को भेजे चार हजार फर्जी सैंपल
शासन से दबाव है कि जिले में हर रोज तीन हजार सैंपल किए जाने हैं। लेकिन हर रोज इतने लोगों की जांच करना मुश्किल हो रहा। जिस दिन लक्ष्य पूरा नहीं होता उस दिन बैठक में फटकार लग जाती है।
बरेली, जेएनएन। शासन से दबाव है कि जिले में हर रोज तीन हजार सैंपल किए जाने हैं। लेकिन हर रोज इतने लोगों की जांच करना मुश्किल हो रहा। जिस दिन लक्ष्य पूरा नहीं होता उस दिन बैठक में फटकार लग जाती है। इससे बचने के लिए जिले के महकमें से जुड़े अधिकारियों ने तोड़ निकाला और एंटीजन टेस्ट की संख्या बढा कर शासन को भेज दिया गया। हाल ही में जब शासन स्तरीय अधिकारियों को इस पर शक हुआ तो उन्होंने इसकी पड़ताल कराई। सामने आया कि सभी सीएचसी से संख्या बढ़ाकर सूची तैयार कर लक्ष्य पूरा किया जा रहा है।
जब कुल संख्या निकाली गई तो करीब चार हजार सैंपल फर्जी निकले। हकीकत सामने आने के बाद से विभाग में खलबली मची है।एंटीजन रिपोर्ट से हुआ खेल शासन से बीते माह लक्ष्य दो हजार से बढ़ा कर तीन हजार कर दिया गया था। इसमें दो हजार एंटीजन और एक हजार आरटीपीसीआर की जांच करनी होती है। दरअसल आरटीपीसीआर जांच लैब में जाती है, जिनके सैंपल वीटीएम समेत हर हाल में आइवीआरआइ और जिला अस्पताल भेजने ही पड़ते हैं।
ऐसे में लक्ष्य पूरा करने के लिए का एक मात्र विकल्प एंटीजन बचता है। जिसकी रिपोर्ट आधे घंटे में आ जाती है। टेस्ट करने के बाद इसकी किट भी फेंक ही दी जाती है। इसके चलते खेल इसमें किया गया। ऐसे हुआ खेल जब दिन भर जांच के बाद लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आता तो शासन को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में आंकड़ा तीन हजार के पार 3100 या 3200 के आसपास दर्शा दिया जाता है। इसके बाद शेष बचे डाटा को पुरानी एंट्री या फर्जी नामों की एंट्री से पूरा किया जाता है। पड़ताल में तो मात्र चार हजार का ही डाटा सामने आया जबकि हकीकत देखी जाए तो अब तक दस हजार से ज्यादा फर्जी सैंपलिंग की रिपोर्टिंग की जा चुकी है।
चार हजार का वह डाटा है जो फिडिंग न होने के चलते पकड़ में आया।अर्बन में सबसे ज्यादा 2085 फर्जी डाटा जांच में जो चार हजार का डाटा सामने आया उसमें सबसे अधिक अर्बन ब्लाक का है। इसमें कुल 21 दिनों में 19318 डाटा अपलोड किया गया, लेकिन इनमें 2085 लोगों को पोर्टल पर फीड नहीं किया गया। मतलब दो हजार का डाटा बढ़ाकर शासन को रिपोर्ट भेजी गई। इसके अलावा रिछा, नवाबगंज और फतेहगंज पश्चिमी ब्लाक या सीएचसी में भी काफी संख्या बढ़ाकर सूची बनाई गई।
फर्जी नाम को निगेटिव दर्शाया जाताअब तक जांच में जो सामने आया उसमें पता चला कि जो नाम फर्जी चढ़ाए जाते हैं उन्हें निगेटिव ही दर्शाया जाता है। जिससे की संबंधित व्यक्ति को पता भी नहीं चलता और न उन्हें कोई आपत्ति होती है। इसके लिए करीब तीन या चार माह पहले जांच करा चुके लोगों को दोबारा शामिल कर दिया जाता है। इन ब्लाक क्षेत्रों में मिली अधिक फीडिंग ब्लाक का नाम बढ़ाई गई संख्या बरेली अर्बन 2085,आलमपुर जाफराबाद 17, बहेड़ी 41, भदपुरा 10, भोजीपुरा 505, भुता 10, बिथरी 278, फरीदपुर 12, फतेहगंज पश्चिमी 425, क्यारा 50, मझगवां 289, मीरगंज 87, नवाबगंज 586, रामनगर और आंवला 316, रिछा 580, शेरगढ़ 84, अन्य 496, कुल 4185 है।