'गिल्लू' की बचाई जान, दोस्ती को नया नाम
अनमोल दोस्ती। इसकी कहानी भी एक मधुरता का अहसास कराती है। इनमें एक 12 साल का किशोर अनमोल और दोस्त हैं गिलहरी के दो बच्चे। बिल्कुल महादेवी वर्मा की कहानी गिल्लू की तरह स्निग्ध रोए झब्बेदार पूंछ वाले।
बरेली, अखिल सक्सेना : अनमोल दोस्ती। इसकी कहानी भी एक मधुरता का अहसास कराती है। इनमें एक 12 साल का किशोर अनमोल और दोस्त हैं गिलहरी के दो बच्चे। बिल्कुल महादेवी वर्मा की कहानी गिल्लू की तरह स्निग्ध रोए, झब्बेदार पूंछ वाले। अनमोल कहीं भी जाए ये बच्चे उसके कंधे पर बैठ कर चल देते हैं। वह ध्यान ना दे तो उछल-कूद मचाते हैं। बिथरी ब्लॉक के मोहनपुर में अजय कुमार टेलर हैं। उनका बेटा अनमोल जवाहर पब्लिक स्कूल में कक्षा चार का छात्र है। परिजनों के अनुसार अनमोल एक महीने पहले खेत पर गया था था। वहां देखा तो एक पेड़ के नीचे गिलहरी के दो पैदा हुए बच्चे गिरे पड़े थे। कौवे उन्हें परेशान कर रहे थे। कई जगह चोंच भी मार दी थीं। यह देख दोनों बच्चों को उठाकर घर ले आया। उसने दोनों बच्चों की देखभाल शुरू कर दी। उन्हे साफ-सुथरा रखने, दूध पिलाने सहित खाने की कई चीजें देना शुरू किया। गिलहरी के बच्चे इतना घुल मिल गए कि अब वह अनमोल से दूर नहीं जाते। जहां अनमोल की राह होती, वहां साथ चल देते। मोहनपुर में नदीम अंसारी बताते हैं कि कि गुरुवार को अनमोल और उसके बड़े भाई के इलाज के लिए उनके पास आए थे। गिलहरी के दोनों बच्चे उसके कंधे और हाथ पर उछल-कूद कर रहे थे। अनमोल भी उन्हें प्यार से खिला रहा था। यह दोस्ती वहां सभी लोगों को अच्छी लगी। रात को कमरे में ही बैठ जाते हैं अनमोल के अनुसार, रात में दोनों गिलहरी के बच्चे कमरे में ही रहते हैं। सुबह उनके उठने से पहले कमरे में धमा-चौकड़ी करते दिखते हैं। खेत पर भी साथ जाते हैं। बिस्कुट और दूध प्रिय गिलहरी के दोनों बच्चों को बिस्कुट और दूध बहुत पसंद है। वह बिस्कुट ना मिलने पर कई बार दूध भी नहीं पीते हैं। गिल्लू भी ऐसे ही बचाया महादेवी वर्मा की कहानी में जिस गिलहरी के बच्चे गिल्लू का उल्लेख है, वह भी कौवों और कुत्तों से बचाने की बात लिखी है। वह भी इसी तरह कथाकार से हिल-मिल गया था।