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Famous Temples in Pilibhit: गौरीशंकर के श्रृंगार की होती है अद्भुत छटा, 18वीं सदी में हाफिज रहमत खां ने भव्य द्वार का कराया था निर्माण

Famous Temples in Pilibhit भगवान गौरीशंकर का मंदिर सदियों पुराना है। इस मंदिर में भगवान शिव का प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। विभिन्न पर्वों पर किए जाने वाले गौरीशंकर के श्रृंगार की छटा अद्भुत होती है और दर्शन के लिए भक्तों का रेला उमड़ता है।

By Aqib KhanEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 04:57 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 04:57 PM (IST)
Famous Temples in Pilibhit: गौरीशंकर के श्रृंगार की होती है अद्भुत छटा, 18वीं सदी में हाफिज रहमत खां ने भव्य द्वार का कराया था निर्माण
Famous Temples in Pilibhit: गौरीशंकर के श्रृंगार की होती है अद्भुत छटा

पीलीभीत, जागरण संवाददाता: शहर के उत्तर-पश्चिम कोण पर स्थित भगवान गौरीशंकर का मंदिर सदियों पुराना है। इस मंदिर में भगवान शिव का प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। विभिन्न पर्वों पर किए जाने वाले गौरीशंकर के श्रृंगार की छटा अद्भुत होती है। श्रृंगार के माध्यम से शिवलिंग पर भगवान शिव और पार्वती की आकृति उकेरी जाती है। जिसके दर्शन के लिए भक्तों का रेला उमड़ता है।

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मुहल्ला डालचंद में स्थित यह मंदिर पुरातत्व विभाग में दर्ज है। मुख्य मंदिर की प्राचीनता को बरकरार रखने के लिए भवन के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ पर प्रतिबंध है। मंदिर के बाहरी हिस्से में सुंदरीकरण के लिए निर्माण कार्य होते रहे हैं।

इस मंदिर में सावन के महीने में भारी रौनक रहती है। जिले भर से तमाम भक्त हरिद्वार, कछला आदि से कांवड़ में गंगाजल भरकर लाने के बाद इसी मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए उमड़ते हैं। सावन के महीने में प्रतिदिन यहां पर रुद्राभिषेक अनुष्ठान होते हैं। कई बार तो अनुष्ठान कराने वाले भक्तों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि उन्हें अपनी बारी के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ जाती है। प्रात: से ही मंदिर में जलाभिषेक करने वालों की लंबी कतारें लग जाती हैं। इसके अलावा गंगा दशहरा का पर्व भी काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देव दीपावली उत्सव की छटा भी मनमोहक रहती है। इस पर्व पर सायं के समय दीप यज्ञ होता है, जिसमें तमाम भक्त पंक्तिबद्ध ढंग से दीप जलाते हैं। इस  दौरान बाबा गौरीशंकर का भव्य श्रृंगार किया जाता है। मंदिर के पुजारी महंत जयशंकर शर्मा बताते हैं कि करीब पांच सौ साल पहले जब पीलीभीत शहर नहीं बसा था। जहां पर आज भव्य मंदिर है, वहां तब घना जंगल हुआ करता था। जंगल में रहने वाले बंजारा जाति के लोग पशुपालन और खेती किया करते थे। उसी दौर पर जब खेतों की जुताई हो रही थी, तब यह शिवलिंग जमीन के अंदर से निकला था। बाद में वहीं पर शिवलिंग की स्थापना की गई और छोटा सा मंदिर बना। बाद में सुंदरीकरण के उपरांत इसे भव्यता प्रदान की गई।

हाफिज रहमत खां ने कराया था भव्य द्वार का निर्माण

18वीं सदी में जब बंजारों से युद्ध जीतकर रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां का इस पूरे इलाके पर शासन स्थापित हो गया, तभी यह शहर बसाया गया। हाफिज रहमत खां ने दिल्ली की शाही जामा मस्जिद की तर्ज पर यहां भी भव्य मस्जिद का निर्माण कराया। साथ ही कुछ ही दूरी पर स्थित गौरीशंकर मंदिर का विशाल एवं भव्य द्वार का निर्माण भी कराया था। मंदिर का यह भव्य द्वार सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना हुआ है।

ऐसे पहुंचे गौरीशंकर मंदिर

पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के चंपावत, पिथौरागढ़, टनकपुर, खटीमा आदि के से आने वाले भक्त नकटादाना चौराहा से खकरा पुलिस चौकी होते हुए राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के पास से जाने वाले मार्ग से होकर अंगूरी देवी सरस्वती बालिका विद्या मंदिर इंटर कालेज के रास्ते से गौरीशंकर मंदिर में पहुंचते हैं। दूसरी ओर बरेली, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर आदि से आने वाले भक्तों के लिए सबसे सुगम रास्ता नौगवां चौराहा से लकड़ी मंडी, बरेली गेट, जेपी रोड से चौक बाजार के रास्ते नई तहसील और राजकीय  आयुर्वेदिक महाविद्यालय के पास से होकर निकले मार्ग से होते हुए गौरीशंकर मंदिर पहुंचते हैं।


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