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Ganga Dussehra 2021 : कल है गंगा दशहरा, जानें इस बार क्यों खास है यह त्योहार, स्नान-दान का क्या है महत्व

Ganga Dussehra 2021 मां गंगा का अवतरण दिवस ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष गंगा दशहरा 20 जून को है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने से 10 प्रकार के पापों का नाश होता है। इसलिए इस पर्व को गंगा दशहरा कहा जाता है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 06:58 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 06:58 AM (IST)
Ganga Dussehra 2021 : कल है गंगा दशहरा, जानें इस बार क्यों खास है यह त्योहार, स्नान-दान का क्या है महत्व
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन राजा भगीरथ की विशेष तपस्या से गंगा जी का अवतरण हुआ था।

बरेली, जेएनएन। Ganga Dussehra 2021 : मां गंगा का अवतरण दिवस ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष गंगा दशहरा 20 जून को है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने से 10 प्रकार के पापों का नाश होता है। इसलिए इस पर्व को गंगा दशहरा कहा जाता है। इस दिन का महत्व दान पुण्य के लिए काफी अधिक बताया गया है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन राजा भगीरथ की विशेष तपस्या से गंगा जी का अवतरण स्वर्ग से धरती पर हुआ था।

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गंगाजी को सभी नदियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा के मुताबिक शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को इस बार गंगा दशहरा 20 जून रविवार को विधि विधान पूर्वक मनाया जाएगा। दशमी तिथि 19 जून शनिवार की सायं 6.46 पर लगेगी जो कि अगले दिन 20 जून रविवार को शाम चार बजकर दो मिनट तक रहेगी। गंगा दशहरा के पावन पर्व पर गंगा स्नान करने पर 10 जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।

गुरु होने जा रहे वक्री : इस बार का गंगा दशहरा बेहद खास माना जा रहा है। इस दिन कई शुभ योग होने के साथ ही देवताओं के गुरु वक्री होने जा रहे हैं। इस बार गंगा दशहरा 20 जून को है और इसी दिन गुरु शनि की राशि कुंभ में उल्टी चाल से चलने लगेंगे। गुरु को बेहद शुभ प्रभाव प्रदान करने वाला ग्रह माना जाता है और गुरु की स्थिति मजबूत होने पर ही हमें धन-धान्य और सोने के गहनों की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा पर गुरु के वक्री होने से इस दिन धन वृद्धि के उपाय विशेष फलदायी सिद्ध हो सकते हैं।

मां गंगा की पूजन विधि : माता गंगा जी की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा अर्चना करनी चाहिए। पूजा के अंतर्गत 10 प्रकार के फूल अर्पित करके 10 प्रकार के नैवेद्य, 10 प्रकार के ऋतु फल, 10 तांबूल, दशांग धूप के साथ 10 दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। गंगा से संबंधित कथा का श्रवण, श्री गंगा स्तुति एवं श्री गंगा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

दान का है विशेष विधान : गंगा दशहरा के पर्व पर स्नान ध्यान करने के बाद ब्राह्मणों को दस सेर तिल, दस सेर गेहूं दक्षिणा के साथ दान देने पर जीवन में अनंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। गंगा उद्धार से संबंधित कथा का श्रवण एवं श्री गंगा स्तुति श्री गंगा स्त्रोत का पाठ भी किया जाना चाहिए। अपनी दिनचर्या नियमित रखते हुए गंगा दशहरा के पावन पर्व पर दान पुण्य फलादायी माना गया है। 


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