Move to Jagran APP

दोस्त ने फोन कर मांगी मदद तो आदिवासियों को हक दिलाने पहुंच गए ओड़िशा, ऐसे बदली उनकी जिंदगी Badaun News

बजरंग नगर निवासी भारत भूषण पाराशरी को आदिवासियों की भाषा भले ही समझ में नहीं आई लेकिन आंखों में झलकने वाला दर्द महसूस कर उनकी जिंदगी बदलने की ठान ली।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 07:30 AM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 03:47 PM (IST)
दोस्त ने फोन कर मांगी मदद तो आदिवासियों को हक दिलाने पहुंच गए ओड़िशा, ऐसे बदली उनकी जिंदगी Badaun News
दोस्त ने फोन कर मांगी मदद तो आदिवासियों को हक दिलाने पहुंच गए ओड़िशा, ऐसे बदली उनकी जिंदगी Badaun News

[मनोज वर्मा] बदायूं : कभी कोर्ट तो कभी आरटीआइ। जरिये भले ही अलग-अलग रहे, लेकिन मकसद एक। कानूनी ज्ञान से शहर के मजलूमों को इंसाफ दिलाना। भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए सिस्टम से जंग लड़ते रहे। एक दोस्त ने आग्रह किया तो ओड़िशा के आदिवासी इलाकों में पहुंच गए। वहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित देखा तो व्यथित हो उठे। शुरूआत में भाषा भले ही समझ में नहीं आई, लेकिन आंखों में झलकने वाला दर्द महसूस कर उनकी जिंदगी बदलने की ठान ली। फिर वही डेरा जमा लिया। केंद्र सरकार की योजनाओं से उन्हें लाभांवित कराने लगे। हम बात कर रहे हैं, बजरंग नगर निवासी भारत भूषण पाराशरी की। वह अब आदिवासियों के लिए अपनी नाम की तरह भूषण बन चुके हैं।

prime article banner

दोस्त से मिली प्रेरणा को बनाया जीवन का मकसद

भारत भूषण पाराशरी के एक मित्र टूना मिश्रा ओड़िशा में ही रहते हैं। करीब तीन साल पहले उन्होंने भारत को फोन पर बताया कि वहां रहने वाले आदिवासी लोगों को उनके अधिकार नहीं मिल पाते हैं। मूलभूत सुविधाओं से भी अभी तक वंचित हैं। सरकार तो तमाम योजनाएं चला रही है, लेकिन सिस्टम उनको उपेक्षा की नजरों से ही देखता है। दोस्त ने उनसे वहां आने और मिलकर अभियान छेडऩे का आग्रह किया तो भारत भूषण आदिवासियों के बीच पहुंच गए। उनके अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की। केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाया। शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए पाठशालाएं लगानी शुरू कीं। उनका यह अभियान अभी जारी है।

बुजुर्गों के सपनों को कराया पूरा

ओड़िशा के बलान्गीर जिले की ग्राम पंचायत मालीशेरा में रहने वाले दुखीराम कैला के घर पर बिजली का कनेक्शन नहीं था। गांव से अलग कच्चा मकान था। एक दिन दुखीराम उनके कैंप में पहुंचे। वह कुछ कहना चाह रहे थे, लेकिन उनकी भाषा वह नहीं समझ सके। तब गांव के सरपंच ने अनुवाद कर समझाया कि दुखीराम के पिता का सपना था कि उनके घर में रोशनी हो, लेकिन वह सपना पूरा नहीं हुआ। भारत ने उनके घर पर बिजली कनेक्शन कराकर जब लाइट लगवाई तो उनके आंखों में आंसू आ गए। भारत भूषण अपने दोस्तों के साथ जिला बलान्गीर के कांटाबांझी, टीटलागढ़ आदि क्षेत्रों में आदिवासियों को उनका हक दिलवा रहे हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.