Pollution on Deepawali : बरेली हुई जहरीली, दीपावली पर चार गुना ज्यादा प्रदूषित हो गई हवा Bareilly News
शहर की उखड़ी पड़ी सड़कों से उडऩे वाली धूल पहले ही मुश्किल बनी हुई थी। अब दिवाली पर आतिशबाजी से जहरीला धुआं छूटा तो शहर की हवा चार गुना ज्यादा प्रदूषित हो गई।
जेएनएन, बरेली : शहर की उखड़ी पड़ी सड़कों से उडऩे वाली धूल पहले ही मुश्किल बनी हुई थी। अब दिवाली पर आतिशबाजी से जहरीला धुआं छूटा तो शहर की हवा चार गुना ज्यादा प्रदूषित हो गई। आने वाले दिनों में इसका और असर देखा जा सकता है। जिसकी शुरूआत सोमवार को छायी धुंध के साथ हो गई।
दिवाली से दस दिन पहले और अगले दिन शहर में तमाम जगहों पर वायु प्रदूषण की स्थिति परखी गई। शहर में अधिकतर जगह आबोहवा मानक से चार गुना या इससे ज्यादा प्रदूषित थी। पर्यावरणविद् और एयर मॉनीटङ्क्षरग प्रोग्राम के को-ऑर्डिनेटर प्रो.डीके सक्सेना बताते हैं कि यह चिंता महज एक या दो दिन की नहीं, बल्कि इसके नतीजे आने वाले दिनों में और सामने आएंगे। क्योंकि शहर की यहां-वहां उखड़ी सड़कों से उठने वाले धूल के कणों में यह धुआं फंसा रहेगा। वहीं, वातावरण में लगातार बढ़ रही नमी इसे ऊपर उठने नहीं देगी। यह धुआं और धूल ही मिलकर स्मॉग का रूप लेगी। जो आंखों और स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद खतरनाक होगी।
मानक को काफी पीछे धकेल चुका आंकड़ा
पर्यावरण विशेषज्ञ बताते हैं कि पीएम 10 को रेस्पायरेबल पार्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। वातावरण में इनका औसत मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए। इससे छोटे कणों का व्यास करीब 2.5 माइक्रोमीटर होता है। पीएम 2.5 का नॉर्मल लेवल 60 एमजीसीएम होता है। शुरूआती एयर मॉनीटङ्क्षरग के दौरान पीएम 2.5 आबादी इलाके में 420 और पीएम-10 की मात्रा 700 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक रही।
कई गुना बढ़ा स्मॉग का खतरा
पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है। चूंकि, आतिशबाजी से निकले प्रदूषण में सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड भी काफी होती है। ऐसे में धुएं के साथ ये तत्व हैवी क्लाइमेट (भारी वातारण) के चलते आसमान में नहीं जा पाते और नमी के साथ वापस जमीन पर आते हैं। इसी वजह से स्मॉग बनता है। इस दौरान विजिबिलिटी भी बेहद कम हो जाती है।
ढीले प्रशासन ने बढ़ाया प्रदूषण का दर्द
शहर के कई गुना बढ़े प्रदूषण के पीछे पुलिस और प्रशासन की ढुलमुल व्यवस्था भी कारण बनी। प्रो. सक्सेना बताते हैं कि पीएम 10 और 2.5 की मात्रा धूल, निर्माण कार्य, कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ती है। करीब हफ्ते भर पहले ही शहर में कई जगह वायु प्रदूषण की स्थिति आंकी गई थी। कुछ जगह तब भी प्रदूषण का लेवल चार गुना तक था। दिवाली पर हुई आतिशबाजी अब और खतरनाक हो गई।
फेफड़ों पर असर
सांस लेते वक्त धूल के कण रोकने का हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं होता। ऐसे में पीएम 2.5 हमारे फेफड़ों के भीतर तक पहुंचता है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह सबसे ज्यादा नुकसानदायक है। डॉक्टरों की मानें तो इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है। खांसी आने के साथ ही सांस लेने में भी तकलीफ होती है। लगातार संपर्क में रहने पर फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।
शहर में यह रहे पर्यावरण के हालात
मुहल्ला 17 अक्टूबर 27 अक्टूबर
पीएम 2.5 पीएम 10 पीएम 2.5 पीएम 10
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कुतुबखाना 85 165 158 255
डेलापीर 155 237 249 539
राजेंद्र नगर 135 278 249 558
इज्जतनगर 190 297 311 601
कोहाड़ापीर 105 188 165 307
श्यामगंज 125 246 183 441
चौपुला 180 281 301 592
यूनिवर्सिटी 135 149 245 406
फिनिक्स मॉल 138 197 286 490
सेटेलाइट तिराहा 198 259 303 597
कैंट 156 193 289 405
यूनिवर्सिटी कैंपस 101 154 225 299
मॉडलटाउन 103 203 187 540
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नोट : सभी आंकड़े माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में। वातावरण में पीएम-2.5 और पीएम-10 का मात्रा करीब 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है)