नाइजीरियन साइबर ठग को मिली जमानत, दिल्ली से लेकर कई शहरों तक फैला नेटवर्क
साइबर क्राइम गिरोह का सरगना नाइजीरियन जेम्स ली को स्थानीय जमानतियों के जुगाड़ से रिहा हो गया है।
बदायूं (जेएनएन)। अपराध में पकड़े जाने पर लोग अपने परिचित तक से मुंह मोड़ लेते हैं। जमानत के लिए दो लोग तक नहीं मिलते। साइबर अपराध में बदायूं से लेकर दिल्ली तक नेटवर्क चलाने आरोपित नाइजीरियन नागरिक देसी जमानतियों का जुगाड़ कर रिहा हो गया। वह भी तब जब पुलिस मुकदमे में आरोप पत्र तक दाखिल कर चुकी है।
छह मई को पकड़ा गया था जेम्स ली
बिसौली पुलिस ने साइबर ठगी के एक मामले में छह मई की रात को दबतोरी मोड़ के पास एक कार से दो लोगों को पकड़ा था। इनमें एक जेम्स ली मूल रूप से नाइजीरिया के स्टेट डेस्टा का और दूसरा आरोपित गुलफाम नबी बिसौली के संग्रामपुर का निवासी था। जेम्स दिल्ली के साकेत मुहल्ले में रहता था। वह अपना पासपोर्ट तक नहीं दिखा सका था। पड़ताल में पता चला कि दिल्ली के ही छतरपुर इलाके में भी उसका ठिकाना था। पुलिस ने दोनों को पूछताछ के बाद जेल भेज दिया था।
दिल्ली से चल रहा नेटवर्क
पुलिस की छानबीन में पता चला था कि जेम्स दिल्ली से पूरा नेटवर्क चला रहा था। गिरोह में कुछ भारतीय युवतियां भी थीं। यह लोग बदायूं और अन्य शहरों में इंटरनेट कॉलिंग से फोन कर लोगों को लाखों रुपये की लॉटरी निकलने का झांसा देते थे। बातों में फंसाकर उनसे अपने खातों में रकम डलवाकर ठगी करते थे। इन्हीं तथ्यों के साथ पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।
मिले थे जाली पैनकार्ड से आधार तक
आरोपितों के पास से एक लैपटॉप, आठ मोबाइल, चार पासपोर्ट, पांच चेक बुक, कूटरचित दस पैनकार्ड, तीन आधार कार्ड, चार एटीएम कार्ड और 25 हजार 160 रुपये नकद बरामद हुए थे। वर्जन आरोपित नाइजीरियन को अदालत से जमानत मिल गई थी। कोर्ट के आदेश पर ही 19 नवंबर को उसे रिहा किया गया। -आदित्य कुमार, जेलर