Move to Jagran APP

फुटबाल पर उपेक्षा की किक, प्रतिभाओं की किसे फिक्र

फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए न तो अच्छी सुविधाएं हैं और न ही प्रतिभा साबित करने के मौके।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 09:10 AM (IST)
फुटबाल पर उपेक्षा की किक, प्रतिभाओं की किसे फिक्र
फुटबाल पर उपेक्षा की किक, प्रतिभाओं की किसे फिक्र

जागरण संवाददाता, बरेली :

loksabha election banner

मेसी, मैराडोना, रोनाल्डो, बाइचुंग भूटिया जैसे फुटबाल सितारे देश और अंतरराष्ट्रीय फलक पर तभी चमक सके, जब उन्हें हुनर दिखाने का प्लेटफॉर्म मिल सका। जिले से ऐसी प्रतिभा की उम्मीद करना फिलहाल बेमानी है। खेलो इंडिया और अन्य खेल योजनाओं की जमीनी हकीकत यही है। फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए न तो अच्छी सुविधाएं हैं और न ही प्रतिभा साबित करने के मौके। दो साल से टूर्नामेंट ही नहीं कराए गए।

प्रतियोगिता के इंतजार में मैदान में मार रहे पैर

स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में 26 खिलाड़ी फुटबाल का प्रशिक्षण ले रहे हैं। दिन भर मैदान में अभ्यास करते, पसीना बहाते हैं। प्रैक्टिस का मतलब सिर्फ अपने मैदान में ही फुटबाल पर पैर मारना रह गया। खेल विभाग की तरफ से प्रतियोगिता में अपना हुनर दिखाने का मौका ही नहीं मिला। आलम यह है कि अंडर-17 और अंडर-19 बालक वर्ग में अर्से से कोई टूर्नामेंट ही नहीं हुआ। आखिरी टूर्नामेंट गत जुलाई में सिर्फ अंडर-16 बालक वर्ग का हुआ था। अंडर-16 बालिका वर्ग टूर्नामेंट हुए भी दो साल हो गए।

जिम्मेदारों का ध्यान सिर्फ क्रिकेट पर

शासन और जिला स्तर पर जिम्मेदारों का ध्यान ग्लैमर और प्रायोजक आसानी से मिलने के चलते क्रिकेट पर रहता है। प्रतियोगिताएं न होने से फुटबाल खिलाड़ियों में निराशा है। वह कहते हैं कि मौके न मिलने से हम अपनी क्षमता का आकलन कैसे करेंगे। क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में भी प्रतिभावान खिलाड़ी हैं।

सहायक कोच बोले, सदन में मुद्दा उठाएं जनप्रतिनिधि

फुटबाल के सहायक कोच विनय मोहन गोस्वामी का कहना है कि हम खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं। उन्हें अच्छी तकनीक सिखा सकते हैं, लेकिन मौके तो टूर्नामेंट से ही मिलेंगे। फुटबॉल को क्रिकेट के बराबर लाने को जनप्रतिनिधियों को आगे आना होगा। सुविधा और बजट के लिए सदन में मुद्दा उठाएं।

--------------

बोले खिलाड़ी

प्रैक्टिस तक ही सीमित रह गई है प्रतिभा

फुटबाल टूर्नामेंट होते ही नहीं। हम सिर्फ प्रैक्टिस तक ही सीमित रह गए हैं। क्रिकेट पर सब ध्यान देते हैं। फुटबाल की ओर किसी का रुझान नहीं है।

-दिव्यांशु मिश्रा, खिलाड़ी

फुटबाल के प्रति कम है जागरुकता

सरकार का पूरा ध्यान क्रिकेट पर है। फुटबाल का कम प्रचार प्रसार होता है। लोगों में भी जागरूकता कम है। फुटबाल के लिए अलग से बजट का प्रावधान करना चाहिए।

शाश्वत त्रिपाठी, खिलाड़ी

-----------

मनीष यादव रुद्रपुर में बढ़ाएंगे मान

स्टेडियम में प्रैक्टिस करने वाले फुटबाल खिलाड़ी मनीष यादव का रुद्रपुर में आयोजित होने वाले स्कूल इंडिया कैंप में चयन हुआ है। यह कैंप एक माह तक चलेगा। अच्छे प्रदर्शन पर एशियन चैंपियनशिप में खेलना का मौका मिल सकता है। साथी खिलाड़ियों में मनीष के चयन को लेकर काफी खुशी और उत्साह है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.