पांच सहेलियों ने बेकार को बना दिया बेमिसाल Bareilly News
पांच सहेलियाें पुष्पा नाजनीन मनीषा माही और जायरी ने तय किया कि जो हुनर लिया है उसे वह बरेली में निखारेंगी। क्योंकि शहर ने उन्हें इस लायक बनाया है।
शांत शुक्ला, बरेली : पांच सहेलियां ़ ़ ़पुष्पा, नाजनीन, मनीषा, माही और जायरीन। दोस्ती तब हुई, जब वे एक कॉलेज में फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रहीं थीं। उन पांचों के सामने दूसरे शहर में करियर बनाने का विकल्प था मगर, उन्होंने कदम अपने शहर की ओर ही बढ़ाए। तय किया कि जो हुनर लिया है, उसे उसी बरेली में निखारेंगी जिस शहर ने उन्हें इस लायक बनाया।
लिया निर्णय बढ़ाया पहला कदम
पहला कदम बढ़ाने में ढेरों चुनौतियां थीं ़ ़ ़और सबसे बड़ी रुपयों का इंतजाम करने की। उन पांचों ने अपनी पॉकेटमनी इकट्ठी की और स्टार्टअप शुरू कर दिया। वह भी अनोखा। तय किया कि जो वस्तुएं लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं, उन्हें जरी के जरिये आकर्षक बनाएंगे।
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट का मिला साथ
इस कवायद में उन्हें सरकार की योजना वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट ने रास्ता दिखाया। सभी ने अपनी पाकेटमनी से 25 हजार रुपये इकट्ठे किए। पुष्पा ने बताया कि इसके बाद हमने परंपरागत साड़ी और लहंगा को छोड़कर पाट, खिलौने, पर्दे जैसी चीजों पर जरदोजी की कढाई का इस्तेमाल किया है। जिसे खूब पसंद किया गया। बाजार में उनकी डिमांड बढऩे लगी। हम लगातार इस कोशिश में लगे हुए हैं कि ऐसे प्रोडक्ट बनाएं जोकि सस्ते हो और हर किसी की पहुंच में हो।
इंटीरियर वाली चीजों पर जरी जरदोजी वर्क
हम इंटीरियर वाली चीजों पर जरी जरदोजी की कढ़ाई करके इसे एक नई पहचान दिलाने चाहते हैैं। माही का कहना है कि उनकी कोशिश है कि ज्यादातर इंटीरियर की चीजों में जरी-जरदोजी का इस्तेमाल किया जाए और यह चीजें वेस्ट मैटेरियल की बनी हो। इससे एक तो बेकार चीजें काम में आएगी और दूसरा महिलाओं को काम मिलेगा। बीते दिनों जब जिला उद्योग केंद्र के उद्योग समागम में उन्होंने इन उत्पादों का स्टाल लगाया तो खूब पसंद किया गया। उनका कहना है कि अब वे लोग दिल्ली में अपना स्टाल लगाने की तैयारी कर रहे है। अभी तक उन्होंने जूती, लहंगा, खिलौने, पर्दे पर जरी जरदोजी का इस्तेमाल किया है। इनमें से कई चीजें ऐसी हैैं जो वेस्ट मैटेरियल से बनी हैैं।
बरेली के हुनर को जाने पूरी दुनिया
उनका ख्वाब है कि बरेली की जरी-जरदोजी कला पूरे देश दुनिया में पहचान बनाए। उनका मानना है कि कोई भी चीज कभी बेकार नहीं होती है, अगर उसका सही से इस्तेमाल किया जाए। यही वजह है कि उन्होंने परंपरागत साड़ी और लहंगा को छोड़कर जरदोजी का इस्तेमाल उन चीजों में करने का निर्णय लिया, जिन्हें लोग बेकार समझकर फेंक देते हैैं। यानि वेस्ट मैटेरियल।