UP Crime : दस साल में करोड़पति बन गया रिक्शा चालक का बेटा, अब टेरर फंडिंग का अंदेशा
धंतिया गांव में साइबर ठगी हवाला प्रकरण में गिरफ्तार किया गया स्थानीय सरगना जमशेद दस साल पहले जरी कारीगर था। दिन में दो-तीन सौ रुपये की कमाई करता था। इस बीच दिल्ली के कुछ लोगों से उसका संपर्क जोकि साइबर ठगी के एजेंट थे।
बरेली, [अभिषेक पांडेय] । Cyber Crime in Bareilly : धंतिया गांव में साइबर ठगी, हवाला प्रकरण में गिरफ्तार किया गया स्थानीय सरगना जमशेद दस साल पहले जरी कारीगर था। दिन में दो-तीन सौ रुपये की कमाई करता था। इस बीच दिल्ली के कुछ लोगों से उसका संपर्क जोकि साइबर ठगी के एजेंट थे। उनसे मुलाकात के बाद वह ठगी में शामिल हुआ और बाद में हवाला कारोबार से। विदेशों से हवाला की रकम मंगवाने के लिए बैंक खातों की जरूरत होती थी, ऐसे में उसने गांव के नौजवानों को झांसे में लिया। जल्द अमीर आदमी बनाने की बात कहकर उनके नाम से खाते खुलवाए। उनमें लाखों रुपये मंगवाता। इसके बदले उन खाता धारकों के लिए आठ फीसद रकम देता था।
इतना ही नहीं, पुलिस अधिकारी यह भी आशंका व्यक्त कर रहे कि वह टेरर फंडिंग में जुड़ा हो सकता है। ऐसी तमाम जानकारियां मिलने के बाद पुलिस ने पूरे गिरोह की धरपकड़ की बड़ी तैयारी की थी। जमशेद के पिता रिक्शा चलाते थे, जब घर में करोड़ों रुपया आने लगा तो काम छोड़ दिया। जब उसने हवाला का काम शुरू किया तो सबसे पहले गांव के ही अशरफ को जोड़ा। इसके बाद इज्जतनगर क्षेत्र में रहने वाले सदाकत को इस काम में शामिल किया। एक ओर जमशेद और दूसरी ओर सदाकत अपने गांव के युवकों के अधिक से अधिक खाते खुलवाता। वह इसलिए, ताकि रकम को बदल बदलकर खातों में मंगवाने से शक नहीं होगा।
पिछले साल अक्टूबर में सदाकत टेरर फंडिंग के मामले में लखीमपुर खीरी में गिरफ्तार कर लिया गया था। अभी भी वहीं है। करोड़ों की प्रापर्टी बना ली जमशेद ने दस सालों में करोड़ों की संपत्ति बना ली। आलीशान मकान, महंगी गाड़ियां, कई रिश्तेदारों के नाम से जमीन व मकान करा दिए। उसके परिवार के कई लोग भी इस काम में लिप्त हैं। मंगलवार को दबिश के दौरान छत से कूदने वाला युवक उसका भतीजा बताया जा रहा। महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल गिरोह में महिलाएं भी शामिल हैं। बताया जा रहा कि गांव के करीब चार सौ युवक व तीन दर्जन महिलाओं के नाम से खाते खुलवाए गए थे। जिनमें हवाला व ठगी की रकम आती थी। पुलिस को जो पासबुक व चेकबुक मिलीं, उनमें महिलाओं के नाम भी हैं।
दैनिक जागरण ने जताया था अंदेशा
पिछले साल सदाकत की गिरफ्तारी के बाद दैनिक जागरण ने इस पूरे गिरोह की जड़ें तलाशी थीं। उस वक्त ही साफ हो गया था कि धंतिया गांव में बड़ी संख्या में बेरोजगार युवकों के खाते खुलवाए गए हैं, जोकि हवाला में उपयोग किए जा रहे। सदाकत के कुछ रिश्तेदार भी इस गांव में रहते हैं। हालांकि उस वक्त पुलिस ने प्रकरण को इज्जतनगर तक ही समेट दिया था। तीन महीने पहले एसपी अभिषेक वर्मा को इसकी पुष्टि हुई तो निगरानी शुरू की गई। जिसके बाद अंदेशा सही साबित हुआ और मंगलवार रात को बड़ी कार्रवाई कर दी गई।