शाहजहांपुर में कर्ज से परेशान किसान ने फांसी लगाकर जान दी
कर्ज में डूबे किसान ने फंदे से लटककर जान दे दी।
बरेली(जेएनएन)। एक तो कर्ज, उसपर भी बैंक की बेरुखी। बुजुर्ग किसान इस कदर परेशान हो गया, फांसी लगाकर जान दे दी। सुसाइड से पहले खत भी लिखा, जिसमें अपना दर्द बयां किया। बताया कि लगातार बैंक अफसरों के चक्कर लगा रहा था। हर बार भरोसा दिया जाता कि कर्ज माफ हो जाएगा लेकिन, हुआ नहीं। मामला प्रशासन तक भी पहुंचा है। डीएम अमृत त्रिपाठी ने जांच के निर्देश दिए हैं।
शाहजहांपुर जिले में सिंधौली क्षेत्र के गांव मुर्छा निवासी हरिनंदन प्रसाद दीक्षित (73) ने 16 अप्रैल 2015 को आइडीबीआइ बैंक से 2.18 लाख रुपये कृषि लोन लिया था। 35 हजार रुपये की किश्त भी जमा की थी। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व प्रदेश की भाजपा सरकार ने कर्ज माफी की घोषणा की तो हरिनंदन ने भी बैंक के अधिकारियों से बात की। तब उन्हें भरोसा दिया गया कि उनका नाम कर्ज माफ होने की पात्रता में है।
सोमवार को भी हरिनंदन बैंक गए थे, पर अधिकारियों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद वह घर वापस चले गए। बेटे दिलीप के मुताबिक, अपरान्ह चार बजे वह कहकर निकले कि फिर से बैंक जा रहे हैं लेकिन, देर शाम तक वापस नहीं लौटे। काफी तलाशा मगर सुराग नहीं लग पाया।
मंगलवार सुबह दिलीप का बेटा प्रियल खेत पर गोबर डालने जा रहा था। गांव से बाहर निकलते ही बंद पड़े कोल्हू के पास झोपड़ी में लगी बल्ली से बाबा का शव लटका देखा। दिलीप का आरोप है कि बैंक अधिकारियों की लापरवाही की वजह से उसके पिता ने जान दी है। एडीएम राजस्व सर्वेश कुमार दीक्षित ने बताया कि पुवायां एसडीएम ने हरिनंदन प्रसाद दीक्षित का नाम पात्रता सूची से काट दिया था। उन पर निर्धारित मानक से ज्यादा जमीन थी। इस मामले में डीएम ने जांच के निर्देश दिए हैं। बुधवार शाम तक रिपोर्ट उन्हें सौंप दी जाएगी।