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पांच साल से करते रहे लोगों के मरने का इंतजाम

जैसे-जैसे बुखार से मचा हाहाकर की तह तलाशी जा रही है, नए खुलासे हो रहे हैं। सुनकर आप भी चौंक जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 10:59 AM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 10:59 AM (IST)
पांच साल से करते रहे लोगों के मरने का इंतजाम
पांच साल से करते रहे लोगों के मरने का इंतजाम

जागरण संवाददाता, बरेली : जैसे-जैसे बुखार से मचा हाहाकर की तह तलाशी जा रही है, नए खुलासे हो रहे हैं। सुनकर आप भी चौंक जाएंगे। मंडल में इतनी सारी मौतें एकाएक नहीं हुईं। जाने-अनजाने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही लोगों के मरने का इंतजाम तो पांच साल से धीरे-धीरे कर रही थी। दरअसल, मलेरिया के खतरनाक प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के मामले लगातार दबाए जाते रहे। वो भी तब, मौतें उस दौरान भी होती रहीं। शासन को जो भी रिपोर्ट जाती, उसमें फाल्सीपेरम का कोई जिक्र नहीं होता। लापरवाही का नतीजा यह हुआ, गंभीर बीमारी के नियंत्रण की कार्ययोजना नहीं बन पाई।

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कितना घातक है फाल्सीपेरम

प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लाज्मोडियम वाईवेक्स बैक्टीरिया के कारण मलेरिया होता है। इसमें प्लाज्मोडियम वाईवेक्स सामान्य तौर पर पाई जाने वाला पैरासाइट है। फाल्सीपेरम खतरनाक मलेरिया माना गया है। इससे दिमागी मलेरिया भी कहते हैं। किसी मरीजों को यह बीमारी होने पर उसके खून का पानी बनने लगता है। मरीज की मौत कुछ घंटे में ही हो सकती है।

जिले में इस तरह चला खेल

जिले में पूर्व के वर्षो में खतरनाक मलेरिया के मामले सामने नहीं आए। ऐसा स्वास्थ्य विभाग शासन को भेजी रिपोर्ट में दावा करता रहा। जबकि पिछले साल ही तमाम लोगों की मौत अंजान बुखार से हुई। तब भी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में सिर्फ एक मौत बताई गई। हकीकत यह थी कि कई लोग गांवों में मरे लेकिन, जिले में मलेरिया के वाईवेक्स पैरासाइट की ही पुष्टि करके पल्ला झाड़ लिया गया। फाल्सीपेरम के मामले स्वास्थ्य विभाग दबाता रहा।

राज्य स्तर की टीम ने खोला राज

जिले में महीने भर से खतरनाक बुखार से एक के बाद एक लोग दम तोड़ते गए लेकिन, स्वास्थ्य महकमा बीमारी का सटीक आकलन नहीं कर पाया। करीब दस दिन पहले राज्य स्तर की टीम ने आकर गांवों में जांच की तो स्वास्थ्य विभाग की पोल खुल गई। तमाम मामले खतरनाक फाल्सीपेरम के मिले। इतना ही नहीं, यह पूर्व में भी इस वायरस के सक्रिय होने का दावा किया गया। इसके बाद ही स्वास्थ्य मंत्री ने डीएमओ को निलंबित भी कर दिया। अब तक दो हजार से अधिक मामले फाल्सीपेरम के सामने आ चुके हैं।

झूठ का आंकड़ा

साल - स्लाइडों की जांच - पीवी - पीएफ

2015 - 108000 - 180 - निल

2016 - 119000 - 395 - निल

2017 - 96000 - 284 - निल

अगस्त 2018 - 48000 - 213 - निल

19 सितंबर 2018 - 41000 - 5295 - 2465


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