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विश्वविद्यालय के खर्चे के विधानसभा तक चर्चे

एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अनियंत्रित खर्च का मुद्दा विधानसभा तक पहुंच गया

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 11:08 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 02:24 AM (IST)
विश्वविद्यालय के खर्चे के विधानसभा तक चर्चे
विश्वविद्यालय के खर्चे के विधानसभा तक चर्चे

जागरण संवाददाता, बरेली : एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अनियंत्रित खर्च का मुद्दा विधानसभा तक पहुंच गया है। कर्मचारियों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन भत्ता, मानदेय, परीक्षा के लिए कॉलेजों को एडवांस भुगतान की रिकवरी समेत करीब 23 मदों के खर्चो पर आपत्ति उठी है। आगामी 23 अक्टूबर को लखनऊ में विश्वविद्यालय के अधिकारियों को विधानसभा की पब्लिक एकाउंट कमेटी (पीएसी) का सामना करना होगा। यह कमेटी ऑडिट के साथ इसकी समीक्षा भी करेगी। पीएसी के ऑडिट को लेकर विवि में खलबली मची है। अधिकारी लखनऊ में डेरा डालकर अपने स्तर से ऑडिट कराने में जुटे हैं।

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खर्च का मामला वर्ष 2013-14 का है। विवि ने कॉलेजों को मुख्य परीक्षा का एडवांस भुगतान किया था। इसके बाद बकाया धन की रिकवरी नहीं की। इसी तरह विवि कैंपस के कर्मचारियों को जो प्रोत्साहन भत्ता और मानदेय दिया जा रहा है। उसमें भी गड़बड़ी सामने आ रही है। इन बिंदुओं के अलावा विवि ने 2013-14 में जिन मदों में खर्च किया गया है, वो आपत्ति के दायरे में है। विधानसभा तक शिकायतें पहुंचने के बाद मामला पीएससी को सौंपा गया था। आगामी 23 अक्टूबर को पीएससी की बैठक में आपत्तियों पर स्थिति स्पष्ट होगी। विवि में चर्चा है कि समिति वर्ष 2013 से लेकर अब तक हुए खर्च पर भी जांच आगे बढ़ा सकती है।

दस्तावेज खंगालने में जुटे कर्मचारी

पीएससी को फेस करने से पहले विवि प्रशासन अपने स्तर पर आय-व्यय का ऑडिट कराने में जुटा है। इसके लिए पुराने दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। ताकि विवि प्रशासन समिति के समक्ष मजबूती से अपना पक्ष रख सकें। अगर यहां गड़बड़ी सामने आती है तो इसमें कई आला अधिकारी फंस सकते हैं।

विधानसभा के सदस्य करेंगे समीक्षा

पीएससी में विधानसभा के वरिष्ठ सदस्यों के अलावा प्रशासनिक अधिकारी भी रहेंगे। यह कमेटी ऑडिट के साथ इसकी समीक्षा भी करेगी। विवि से कुलसचिव और वित्तीय अधिकारी कमेटी के सामने पेश हो सकते हैं।

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यह एक रुटीन ऑडिट है। उच्चाधिकारियों की समिति समय-समय पर परीक्षण करती रहती है। पीएससी से ऑडिट की जानकारी नहीं है। -सुरेश उपाध्याय, वित्त अधिकारी रुविवि


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