जरी कारोबार को मिलेगी जान, खाड़ी देशों को निर्यात होंगे परिधान
जिले की पहचान होने के बावजूद दम तोड़ रहे जरी कारोबार में नई जान फूंकने के प्रयास शुरू हुए हैं।
बरेली, जेएनएन : जिले की पहचान होने के बावजूद दम तोड़ रहे जरी कारोबार में नई जान फूंकने के प्रयास शुरू हुए हैं। जिला उद्योग केंद्र अन्य देशों के साथ ही खाड़ी देशों में जरी के उत्पाद निर्यात करने की योजना बना रहा है। इसके लिए अध्ययन किया जाएगा कि किन देशों में जरी की मांग है और वहां के लोग किस तरह के परिधान पसंद करते हैं। इसी मांग के अनुरूप यहां उत्पाद, परिधान तैयार कर निर्यात किया जाएगा। इससे जिले में कारोबार तो बढ़ेगा ही, कारीगरों को रोजगार भी मिल सकेगा।
खाड़ी देशों की तरफ विशेष निगाह
दरअसल खाड़ी देशों में जरी परिधानों को खासा पसंद किया जाता है। यही वजह है कि इन मुल्कों को ध्यान में रखकर इस योजना पर विचार किया गया है। अन्य देशों में भी निर्यात किया जाएगा। प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत बरेली में जरी को चुना गया है। यहां जरी उद्यम शुरू करने वालों को सरकार सब्सिडी पर आर्थिक मदद भी मुहैया करा रही है।
600 करोड़ का है सालाना कारोबार
जिला उद्योग केंद्र के आंकलन के मुताबिक जिले में जरी उत्पाद का सालाना 600 करोड़ रुपये का कारोबार है। डेढ़ लाख लोग क्षेत्र से जुड़े हैं, जिनमें कारोबारी छोटे-बड़े कारीगर शामिल हैं। सरकार से करीब 75 हजार कारीगरों को शिल्प पहचान पत्र जारी है।
क्या कहते हैं जरी कारोबारी
जिले में कोई भी निर्यात एजेंसी नहीं है। इसकी वजह से हमारे उत्पाद बाहर नहीं जा पाते। हवाई सेवा शुरू न होने से बाहर के खरीदार भी नहीं आ पाते हैं। अगर दोनों सुविधाएं शुरू हुईं तो कारोबार को एक नई उंचाई मिलेगी।-फारुख, जरी कारोबारी
जरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। कारोबार और मांग बढ़ाने के लिए इस योजना पर विचार कर रहे हैं। निर्यात होगा तो उद्योग और इससे जुड़े लोगों को बढ़ावा मिलेगा। -अनुज कुमार, उपायुक्त, जिला उद्योग केंद्र
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