बरेली में कागजों पर ही होती है एपिडियोलाजिस्ट की पड़ताल, जानियेे क्या है एपिडियोलाजिस्ट, क्यों होती है पड़ताल
Dengue in Bareilly जिले में भोजीपुरा के बच्चे की डेंगू से पहली मौत ने स्वास्थ्य महकमे के सर्विलांस के सारे दावों की पोल खोल दी है। आइडीएसपी प्रभारी एपिडियोलाजिस्ट डेंगू के केस मिलने के बाद केवल ‘कागजों’ पर ही लोगों की जांच के साथ अन्य निरोधात्मक कार्रवाई कराते रहे।
बरेली, जेएनएन। Dengue in Bareilly : जिले में भोजीपुरा के बच्चे की डेंगू से पहली मौत के मामले ने स्वास्थ्य महकमे के अभी तक सर्विलांस के सारे दावों की पोल खोलकर रख दी है। आइडीएसपी प्रभारी एपिडियोलाजिस्ट डेंगू के केस मिलने के बाद केवल ‘कागजों’ पर ही स्वजन व आसपड़ोस के घरों में लोगों की जांच के साथ अन्य निरोधात्मक कार्रवाई कराते रहे। कागजी कार्रवाई इसलिए क्योंकि अगर वो या उनकी टीम मौके पर पहुंची होती तो बच्चे की मौत का पता कई दिन पहले ही चल गया होता।
दरअसल, डेंगू या जापानी इन्सेफ्लाइटिस (जेई) के कन्फर्म केस मिलने के बाद सर्विलांस की जिम्मेदारी एपिडियोलाजिस्ट की होती है। मरीज के स्वजन ही नहीं आसपास के 50 घरों में रहने वाले लोगों के सैंपल लेना होता है। इसके अलावा अन्य निरोधात्मक कार्रवाई की जाती है। राशिद बुखार पीड़ित होने पर 15 सितंबर को एसआरएमएस मेडिकल कालेज में भर्ती हुआ, तब एलाइजा टेस्ट के लिए सैंपल भी लिया गया। 16 सितंबर को उसकी मौत हो जाती है।
जबकि एलाइजा टेस्ट रिपोर्ट 17 सितंबर को मिली। ऐसे में अगर मान भी लें कि एसआरएमएस मेडिकल कालेज ने बच्चे की मौत छिपाई तब भी अगर आइडीएसपी की टीम एपिडियोलाजिस्ट डा.मीसम अब्बास टीम के साथ जमीन पर पहुंचे होते तो बच्चे की मौत होने की खबर उन्हें पता होती। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और केवल कागजों पर टीम सर्विलांस करती रही। यही नहीं, स्वजन व मरीज का हाल जानने के लिए परिवार को फोन भी किया होता तब भी बच्चे की मौत की बात पता चल जाती।
ये लापरवाही तब है जबकि जिले में अभी तक महज 23 डेंगू पाजिटिव केस ही सामने आए हैं।जिला सर्विलांस अधिकारी डा. आरएन गिरी ने बताया कि मामले में एपिडियोलाजिस्ट डा.मीसम अब्बास की काम में लापरवाही सामने आ रही है। इस मामले में उनसे स्पष्टीकरण लिया जा रहा है। पूरी रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराएंगे।