Loksabha Election 2019: बरेली में केंद्रीय मंत्री संतोष के लिए आसान नहीं आंठवा द्वार
झुमके के लिए मशहूर बरेली संसदीय क्षेत्र भाजपा के लिए इसलिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न है क्योंकि यहां से केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री संतोष गंगवार आठवीं बार जीत हासिल करने उतार हैं।
सुरमा और झुमके के लिए मशहूर बरेली संसदीय क्षेत्र भाजपा के लिए इसलिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न है क्योंकि यहा से केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री संतोष गंगवार आठवीं बार जीत हासिल करने के लिए लड़ रहे हैं। भाजपा के प्रभुत्व वाली इस सीट पर सपा-बसपा गठबंधन और काग्रेस ने अपनी दमदार मौजूदगी ने मुकाबला रोमाचक बना दिया है। बरेली के संपादकीय प्रभारी जितेंद्र शुक्ल की रिपोर्ट-
इस अखाड़े के सभी पहलवान अनुभवी हैं और एक-दूसरे के दावपेच भली भाति जानते हैं और यही वजह है कि बरेली संसदीय क्षेत्र में चुनावी बयार को भाप पाना थोड़ा मुश्किल है। वैसे यह सीट भाजपा के प्रभुत्व की है और संतोष गंगवार यहा से सात बार चुने जा चुके हैं। एक बार फिर वह मैदान में हैं। लड़ाई बहुत आसान नहीं है क्योंकि इन्हीं प्रत्याशियों के बीच 2009 में उनकी गणित गड़बड़ा गई थी। उस समय भी सपा से भगवत सरन गंगवार और काग्रेस से प्रवीण सिंह ऐरन मैदान में थे। समीकरण कुछ ऐसे बैठे कि संतोष गंगवार सीट नहीं बचा सके थे। हालाकि, इस बार वह सतर्क दिखते हैं। कुर्मी-मुस्लिम बाहुल्य इस संसदीय सीट पर इन दोनों वगरें का वोट बहुत कुछ तय करेगा। बरेली संसदीय क्षेत्र में पाच विधानसभाएं हैं। बरेली शहर, बरेली कैंट, भोजीपुरा, नवाबगंज और मीरगंज। नवाबगंज के वोट निर्णायक भी हो सकते हैं, क्योंकि भगवत यहा से जीत कर प्रदेश में मंत्री भी बन चुके हैं। हा, यह आस मुकाम तक तभी पहुंच सकेगी जब ध्रुवीकरण न हो। यही कारण था कि मुख्यमंत्री योगी की सभा सबसे पहले यहीं हुई थी। हालाकि यहा के थोक दवा व्यापारी डब्बू गंगवार का मानना है कि इस बार 2009 वाली स्थिति नहीं है। मतदान बहुत सोच समझ कर होगा। रात करीब साढ़े दस बजे शहर के सैलानी इलाके में चाय की दुकान पर बैठे चार-पाच युवा चुनावी चर्चा छेड़ने पर बोले-'हमने तो अभी तय नहीं किया कि वोट किसे देना है लेकिन, मतों का ध्रुवीकरण तय है। थोड़ी देर बाद दुकान पर पहुंचे युवा वसीम खान ने खुलकर बातें की' भाजपा तो यहा कुछ कर नहीं रही तो वोट क्यों मिलेगा।' लेकिन शहर के सुभाष नगर इलाके के निवासी विनोद कहते हैं कि हमें तो इसी सरकार ने बिजली का कनेक्शन दिया है। लोगों को घर मिले हैं। खाना पकाने के लिए गैस और शौचालय मिले हैं तो वोट भी उसी के अनुरूप होगा। बरेली लोकसभा सीट का परिणाम काफी हद तक देहात के तीन विधानसभा क्षेत्रों पर निर्भर करता है। भाजपा का परंपरागत वोटर इन क्षेत्रों में भले ठंडी सास लेने का मौका दे रहा हो मगर, गठबंधन का वोट बैंक एक बोली बोलने लगा तो चुनौती तगड़ी मिलेगी। हालाकि ऐसा अंदाजा लगाने से पहले इस क्षेत्र में काग्रेस की मौजूदगी पर भी निगाह देनी होगी। इस सीट पर भी काग्रेस अपने चेहरे और मुस्लिम मतदाताओं के भरोसे ही दम भर रही है। मुस्लिम मत कितना और किसके लिए घर से निकलेगा, यह अभी अंदाज लगा पाना मुश्किल है। मीरगंज में विधानसभा चुनाव के दौरान वोटर अपने प्रतिनिधियों के चेहरे बदलते रहे हैं मगर, लोकसभा चुनाव में भाजपा इस क्षेत्र से संतुष्ट नजर आती रही है। 2009 के चुनाव में काग्रेस भी अपनी मौजूदगी दर्शा चुकी है। इस बार कौन सी पार्टी वोटरों को अपने सबसे ज्यादा करीब ला सकेगी, इस पर क्षेत्र के लोगों की मिली-जुली राय मिलती है। हालाकि, तीनों प्रत्याशियों के समर्थकों ने अपनी ताकत झोंक रखी है।
फिर दस साल पुरानी लड़ाई
बरेली में इस बार चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार अब से दस साल पहले 2009 में भी आमने-सामने हो चुके हैं। तब बसपा ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था। इस बार भी भाजपा सासद संतोष गंगवार के मुकाबले सपा-बसपा गठबंधन से भगवत सरन गंगवार मैदान में हैं। वह नवाबगंज के पूर्व विधायक हैं। कांग्रेस ने प्रवीण सिंह ऐरन पर दाव लगाया है। ऐरन 2009 में इसी संसदीय सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
विधानसभावार स्थिति
संसदीय क्षेत्र में विधायक पार्टी
बरेली शहर डॉ. अरुण कुमार भाजपा
बरेली कैंट राजेश अग्रवाल भाजपा
नवाबगंज केसर सिंह भाजपा
भोजीपुरा बहोरन लाल मौर्य भाजपा
मीरगंज डॉ. डीसी वर्मा भाजपा
2014 में यह थी स्थिति
प्रत्याशी पार्टी वोट फीसद
संतोष गंगवार भाजपा 518258 50.91
आयशा इस्लाम सपा 277573 27.27
उमेश गौतम बसपा 106049 10.42
प्रवीण सिंह ऐरन कांग्रेस 84213 8.27