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Effect of Coronavirus Infection : बरेली के श्मशान में वेटिंग बढ़ी तो रामगंगा घाट पर संस्कार के लिए पहुंचने लगे लोग

Effect of Coronavirus Infection कोरोना संक्रमण के बीच संक्रमितों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात इस कदर बेकाबू हैं कि शहर के तीनों ही श्मशान घाटों में लंबी वेटिंग होने की वजह से लोग शव के अंतिम संस्कार को अब रामगंगा घाट पहुंच रहे हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 05:40 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 05:40 PM (IST)
Effect of Coronavirus Infection : बरेली के श्मशान में वेटिंग बढ़ी तो रामगंगा घाट पर संस्कार के लिए पहुंचने लगे लोग
रामगंगा किनारे बीते सप्ताह से अब तक 17 कोविड शवों का हो चुका है अंतिम संस्कार।

बरेली, (शुभम शर्मा)। Effect of Coronavirus Infection : कोरोना संक्रमण के बीच संक्रमितों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात इस कदर बेकाबू हो चले हैं कि शहर के तीनों ही श्मशान घाटों में लंबी वेटिंग होने की वजह से लोग शव के अंतिम संस्कार को अब रामगंगा घाट पहुंच रहे हैं। घाट पर अब तक 17 शवों का दाह संस्कार कोविड प्रोटोकाल के जरिए कराया जा चुका है।

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सिटी श्मशान भूमि में कोविड प्रोटोकॉल के साथ परिजन अंतिम संस्कार को पहुंचे तो वहां 7-8 घंटे की वेटिंग बताई गई। जिसके बाद परिजन शव लेकर रामगंगा घाट पहुंचे। तब जाकर वहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। सिटी श्मशाम घाट में पंडित त्रिलोकी नाथ ने बताया कि पिछले चार दिनों से कोविड प्रोटोकॉल से एक दर्जन से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है। आलम यह है कि एक चिता की राख ठंडी नहीं हो पाती और दूसरी बॉडी की तैयारी शुरू हो जाती हैं। ऐसा मंजर देखकर अब घबराहट सी होने लगी है। संजयनगर स्थित श्मशान घाट में सोमवार को आठ कोविड के शव और चार सामान्य शव अंतिम संस्कार को पहुंचे। वहीं सिटी श्मशान भूमि में पांच कोविड और 16 सामान्य शव अंत्येष्टि के लिए पहुंचे। एक कोविड शव का अंतिम संस्कार गुलाबबाड़ी स्थित श्मशान घाट में किया गया।

पूरी क्षमता पर चल रहे गैस शवदाह गृह

सिटी श्मशान भूमि की कमेटी में सदस्य सुरेश सुंदरानी के मुताबिक महापौर उमेश गौतम से सैनिटाइजेशन के लिए कहा गया है। जोकि उन्होंने स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि सिटी श्मशान भूमि पर गैस शवदाह गृह में एक दाह संस्कार का खर्च करीब 32 सौ रुपये आता है, लेकिन ट्रस्ट सिर्फ 12 सौ रुपये में दाह संस्कार करवा रही है। इससे लोगों की मदद हो रही है। गैस शवदाह गृह पूरी क्षमता पर चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शव अधिक आने से लोगों से अपील की जा रही है कि फूल चुनने के लिए 24 घंटे में ही दोबारा श्मशानभूमि आए।

24 घंटे करनी पड़ रही ड्यूटी

एंबुलेंस चालक सीताराम शंखधर ने बताया कि 24 घंटे ड्यूटी पर हैं। सोमवार को दोपहर तीन बजे तक चार शवों को लेकर मुक्तिधाम आना पड़ा। अभी आगे का पता नहीं। तीन हजार रुपये वेतन मिलता है, अपना घर तक नहीं है।

बिना पूर्व सूचना संक्रमित शव को लेकर श्मशान पहुंच रहे निजी अस्पताल

कोरोना संक्रमित व्यक्ति का अंतिम संस्कार कोविड गाइडलाइन के तहत किए जाने के प्रावधान हैं। लेकिन, अंतिम संस्कार में भी प्राशसनिक लापरवाही की जा रही है। शुरूआत में संक्रमित शवों के साथ चिकित्सक और पुलिस की टीम आती थी, जहां अंतिम संस्कार होता था। उस जगह को सैनिटाइज किया जाता था। मगर, अब परिवार के लोग ही पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार करा रहे हैं। निजी अस्पताल बिना किसी पूर्व सूचना के संक्रमित शवों को लेकर पहुंच रहे हैं।

सिटी श्मशान भूमि में करना पड़ रहा इंतजार

सिटी श्मशान भूमि में कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार के लिए फिलहाल एक ही पीएनजी मशीन है। जिन पर शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। एक शव के संस्कार में करीब डेढ़ घंटे का समय लगता है। स्थिति यह कि एक शव की राख ठंडी हो नहीं पाती, दूसरे शव की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। तत्काल राख को उठाकर दूसरे शव का संस्कार करना पड़ रहा है। हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा में बहाने की पंरपरा है, लेकिन कोरोना काल में इस पंरपरा से भी लोग वंचित रह रहे हैं।

कई शव बिना कोविड गाइडलाइन के पहुंचे

रामगंगा स्थित गंगा मंदिर में मंहत मौनी बाबा ने बताया कि एक सप्ताह से लगातार शवों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसमें ज्यादातर संक्रमित शव पहुंच रहे हैं। हैरत की बात यह है कि कई लोग कोविड गाइडलाइन का पालन भी नहीं कर रहे हैं।


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