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ईको-फ्रेंडली अंतिम संस्कार से बचेगा पेड़-पौधों का जीवन Bareilly News

शमशान घाट पर हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार होगा ही साथ में जहरीली गैसों से पर्यावरण सुरक्षा गायों का बचाव भी होगा। पेड़ों को काटने से बजाय उनके जीवन को बचाया जा सकेगा।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 12:40 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 05:43 PM (IST)
ईको-फ्रेंडली अंतिम संस्कार से बचेगा पेड़-पौधों का जीवन Bareilly News
ईको-फ्रेंडली अंतिम संस्कार से बचेगा पेड़-पौधों का जीवन Bareilly News

बरेली [दीपेंद्र प्रताप सिंह] : ऋग्वेद में 16 संस्कार दर्ज हैं...। इनमें से आखिरी कर्मकांड अंतिम संस्कार है। इसे ही मोक्ष संस्कार भी कहते हैं। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) एक योजना को अंतिम रूप दे रहा। इसमें शमशान घाट पर हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार होगा ही साथ में जहरीली गैसों से पर्यावरण सुरक्षा, गायों का बचाव भी होगा। पेड़ों को काटने से बजाय उनके जीवन को बचाया भी जा सकेगा।

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मुख्य अभियंता अजीत प्रताप सिंह की पहल पर शुरू हुई इस योजना में ईको-फ्रेंडली अंतिम संस्कार के लिए एक विशेष चैंबर होगा। चैंबर में शव जलाने पर जहरीला धुआं बाहर नहीं निकलेगा, बल्कि अंदर ही धुएं का तापमान कम होगा और जहरीली गैस पानी में बैठ जाएगी। अंतिम संस्कार के विशेष चैंबर में कर्मकांड की प्रक्रिया भी एक घंटे में ही पूरी हो जाएगी।

लकड़ी का विकल्प बनेगा गाय का गोबर

पेड़ों की बेतरतीब कटाई का बुरा असर हम लगातार भुगत रहे। हालात और खराब होने को हैं। एक अंतिम संस्कार में करीब 300-400 किलोग्राम लकड़ी जलती है। नई तकनीक से रीति-रिवाज का पालन करने के साथ ही लकड़ी की जगह गाय का गोबर ईंधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं या फ‍िर दोनों को मिलाकर भी संस्कार हो सकता है। इसके अलावा सीएनजी का भी विकल्प रहेगा।

प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके समर्थन

बीते वर्ष नीति आयोग की बैठक हुई थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पर्यावरण संरक्षण की कोशिश करने वाले नागपुर के एक युवक का भी जिक्र था, जो पराली और गाय के गोबर से बनने वाले ब्लॉक को अंतिम संस्कार के लिए बेचता था। पीएम मोदी ने ईको-फ्रेंडली अंतिम संस्कार में समय और पर्यावरण की बचत को बेहतर उदाहरण बताया था।

चैंबर में शव का अंतिम संस्कार ठीक से हो सकता है

गाय के गोबर की ज्वलनशील क्षमता लकड़ी के बराबर ही होती है। बीडीए के साथ योजना पर काम कर रहे सार्थक चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक संजीव साहनी बताते हैं कि महज आधा किलोग्राम कपूर और 50-70 किग्रा गाय के गोबर से बनी लकड़ी की मदद से चैंबर में शव का अंतिम संस्कार ठीक से हो सकता है।

कंपनी और ट्रस्ट के साथ हो चुकी बैठक

बीडीए उपाध्यक्ष द‍िव्या मित्तल ने बताया क‍ि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सिटी श्मशान भूमि ट्रस्ट पर ईको-फ्रेंडली अंतिम संस्कार शुरू करवाने की योजना है। इसके लिए विशेष चैंबर मुहैया कराने वाली कंपनी और ट्रस्ट पदाधिकारियों के साथ बैठक हो चुकी है। इससे गायों के गोबर का उपयोग कर पशु पालकों को स्वावलंबी बनाया जा सकेगा।


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