Move to Jagran APP

शोध : ब्रॉयलर चिकन को खिलाएं अलसी, आपका दिल बोलेगा- ऑल इज वेल

आइवीआरआइ के दो युवा वैज्ञानिकों ने शोध में पता लगाया कि अलसी का सेवन करने वाले ब्रॉयलर का चिकन खाने से लोगों में दिल संबंधी दिक्कत काफी कम होती है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 12:57 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 12:57 PM (IST)
शोध : ब्रॉयलर चिकन को खिलाएं अलसी, आपका दिल बोलेगा- ऑल इज वेल
शोध : ब्रॉयलर चिकन को खिलाएं अलसी, आपका दिल बोलेगा- ऑल इज वेल

बरेली [दीपेंद्र प्रताप सिंह]। ब्रॉयलर चिकन (केमिकल और दवाओं के जरिये विकसित मुर्गे-मुर्गी) स्वास्थ्य के लिए जाने कैसे होंगे? खाने के बावजूद यह सवाल हर किसी नॉन वेजीटेरियन के मन में बना रहता है। हालांकि, हालिया शोध के बाद शंका का समाधान काफी हद तक हो हो गया है। इसके लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) के फिजियोलॉजी विभाग के स्टूडेंट और दो युवा वैज्ञानिकों ने ब्रॉयलर की डाइट में बदलाव किया। खासतौर से अलसी और कनकी (टूटे चावल) को शामिल किया। जो नतीजे सामने आए, उसके मुताबिक, अलसी का सेवन करने वाले ब्रॉयलर का चिकन खाने से लोगों में दिल संबंधी दिक्कत काफी कम होती दिखीं। साथ ही मुर्गी पर होने वाला खर्च भी घट गया।

loksabha election banner

मक्का और सोयाबीन का हिस्सा होगा रिप्लेस

युवा वैज्ञानिक डॉ.नासिर अकबर मीर और डॉ.कपिल देव ने यह शोध किया है। उन्होंने बताया कि अमूमन ब्रॉयलर मुर्गे-मुर्गी या अन्य मिलते-जुलते कुक्कुट की डाइट में मक्का और सोयाबीन रहता है। शोध के दौरान कई चरणों के बाद देखा कि सोयाबीन के दस फीसद हिस्से को अलसी और मक्का के करीब बीस फीसद हिस्से को हटाकर ब्रोकन राइस यानी कनकी (टूटे हुए चावल) को मिलाएं तो चिकन के प्रभाव अप्रत्याशित रूप से बदल जाते हैैं।

दिल को ऐसे सेहतमंद बनाती नई डाइट

अलसी के अर्क में ओमेगा-03 की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। यह हमें दिल संबंधी बीमारी से बचाता है। वहीं, फैटी एसिड के अच्छे वाहक ओमेगा-06 को भी संतुलित रखता है। ब्रॉयलर की तय नई डाइट से ओमेगा-03 और ओमेगा-06 का अनुपात 1 और 4 का बना। इसके अलावा अन्य मिनरल मिक्सचर आदि की वजह से यह बेहतर साबित हुआ। इस तरह का चिकन खाने से दिल काफी हद तक महफूज रहता है।

युवा वैज्ञानिक का हासिल कर चुके पुरस्कार

फिजियोलॉजी से जुड़े देश भर के वैज्ञानिक कुछ समय पहले आइवीआरआइ में आयोजित समारोह में जुड़े थे। यहां पशु दैहिकी एवं जलवायुकी के क्षेत्र में बेहतर शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने अपने-अपने शोध प्रस्तुत किए। इसमें डॉ. नासिर अकबर मीर और डॉ. कपिल देव के शोध को सबसे बेहतर पाया था।

निदेशक बोले, इस तरह के शोध की जरूरत

ब्रॉयलर के मीट की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए दोनों युवा वैज्ञानिकों का संयुक्त शोध बेहतर है। फिजियोलॉजी के क्षेत्र में इस तरह के और शोध होने की जरूरत है। - डॉ.राजकुमार सिंह, निदेशक, आइवीआरआइ 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.