World earth day : भंवरा, तितली और मधुमक्खियों का घटना खतरे का संकेत
सरसों के खेत में मंडराती तितलियां बागानों में अठखेलियां करते भंवरे। ऐसा नजारा कम होता जा रहा है। यह धरती पर खतरे का संकेत है।
जेएनएन, बरेली : सरसों के खेत में मंडराती तितलियां, बागानों में अठखेलियां करते भंवरे। फूलों का रस चुराती मधुमक्खियां। गौर कीजिए, क्या अब खेतों में ऐसा नजारा दिखाई पड़ता है। शायद बहुत कम जगहों पर। इसलिए क्योंकि बागान, फसल में कीटनाशक का उपयोग, इन जीवों का जीवन छीन रहा है। धरती पर खतरे का संकेत दे रहा है। विश्व पृथ्वी दिवस जो की आज है, उसकी थीम-प्रजातियों का संरक्षण की रखी गई है।
बरेली कॉलेज में बॉटनी के विभागाध्यक्ष व एसोसिएट प्रोफेसर आलोक खरे कहते हैं कि तितली, मधुक्खी, इनका संरक्षण बेहद जरूरी है। भोजन देने वाले करीब छह हजार पौधे हैं। इसमें दुनिया में महज 12 मुख्य पौधों पर ही खेतीबाड़ी निर्भर हो चुकी है। इसमें धान, गेहूं, गन्ना आदि शामिल हैं। आज जिस अधिकता में खेतों में कीटनाशक का इस्तेमाल किया जा रहा है। उससे कीट-पतंगा, अन्य जीव तेजी से घटते जा रहे हैं, क्योंकि कीटनाशक अच्छे और बुरे जंतु में फर्क नहीं करता। फसल को नुकसान पहुंचाने वालों के साथ लाभदायक जंतु भी नष्ट होते जा रहे हैं।
क्यों जरूरी हैं तितली तितली, मधुमक्खी
लाखों किस्म के पौधों का परागण करते हैं। इनसे पेड़-पौधों में बीज-फल आते हैं। मधु मक्खी न हों तो इन पौधों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा।
धरती पर जैव विविधता जरूरी
पृथ्वी पर जैव विविधता का बनी रहना जरूरी है। क्योंकि ग्लोबल वार्मिग का खतरा बना है। वातावरण में तेजी से बदलाव हो रहा है। बिन-मौसम बरसात, धूप-सर्दी। यह सब वातावरण में परिर्वतन का नतीजा है। ऐसे में अगर जैव विविधता नहीं होगी, तो दूसरी फसले पैदा करने में चुनौती आएगी।
किसान बदलते रहें फसल चक्र
जैव विविधिता संरक्षित करने में किसान अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। वे कीटनाशक के ज्यादा उपयोग से बचें। परंपरागत फसलों के अलावा दूसरी फसलें भी उगाएं।