संयुक्त जिला चिकित्सालय में संसाधनों का रोना, ‘विकल्प’ का सहारा Bareilly News
संयुक्त जिला चिकित्सालय वैकल्पिक व्यवस्था के ही भरोसे नजर आ रहा है। जिला महिला चिकित्सालय के अधिकारियों की मानें तो प्रतिदिन दो तीन बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें रेडिएंट वार्मर की जरु
बरेली, जेएनएन : बच्ची की मौत पर संयुक्त जिला चिकित्सालय में अलग-अलग हुए जिला व पुरुष अस्पताल के बीच अब भी मासूमों की जान फंसी नजर आ रही है। संसाधनों के अभाव में बच्चों की जान कितनी सुरक्षित है, इस सवाल पर जहां महिला अस्पताल की सीएमएस चुप्पी साध लेती हैं।
वहीं संयुक्त जिला चिकित्सालय वैकल्पिक व्यवस्था के ही भरोसे नजर आ रहा है। जिला महिला चिकित्सालय के अधिकारियों की मानें तो प्रतिदिन दो तीन बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें रेडिएंट वार्मर की जरुरत पड़ती है। इनकी कमी के सबब दिक्कत आ रही है। महिला सीएमएस कहती हैं कि शासन को रिमाइंडर भेज दिया है।
नहीं आए रेडिएंट वार्मर
महिला सीएमएस डॉ. अलका शर्मा ने बताया कि 12 रेडिएंट वार्मर व छह फोटोथेरेपी मशीन खराब होने के कारण शासन को वापस भेज दिए थे, जिन्हें 10 जून तक भेजने का आश्वासन मिला था। लेकिन, अब तक नहीं आ सके हैं। उन्होंने बताया कि शासन को ऑक्सीजन कंस्ट्रेक्टर, पल्स ऑक्सोमीटर, बिल्रूबिन मीटर, ऑक्सीजन हुड्स की डिमांड भेजी है। इसके अलावा रेडिएंट व फोटोथेरेपी मशीनों को वापस भेजने के लिए रिमाइंडर भेजा जा रहा है।
वसीम बरेलवी से मांगेंगे वार्मर
महिला चिकित्सालय एमएलसी वसीम बरेलवी रेडिएंट वार्मर और फोटोथेरेपी मशीन उपलब्ध कराने की मांग करेगा। वह विधायक निधि से उपकरण उपलब्ध कराने के लिए भी पत्र लिखेंगी।
आयुष्मान योजना से जुडे प्राइवेट हॉस्पिटल का विकल्प
अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. प्रमिला गौड़ ने कहा कि अगर संसाधनों का अभाव है तो सीधे तौर पर आयुष्मान योजना से जुड़े प्राइवेट हॉस्पिटल का विकल्प खुला हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी वहां भर्ती कराएं। हालत नाजुक है तो उन्हें एंबुलेंस से लखनऊ भेजा जा सकता है।
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