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कोविड महामारी के चलते Family Court के मामलों की काउंसिलिंग आनलाइन होगी, जानें High Court ने अपने आदेश में क्या कहा

Counseling of family court cases will be held online कोविड महामारी के मद्देनजर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के मामलों में पक्षकारों की आनलाइन काउंसलिंग का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट की मंशा है कि कोविड की संभावित तीसरी लहर के दौरान पारिवारिक विवादों का निस्तारण निर्बाध रूप से होता रहे।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 03:49 PM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 03:49 PM (IST)
कोविड महामारी के चलते Family Court के मामलों की काउंसिलिंग आनलाइन होगी, जानें High Court ने अपने आदेश में क्या कहा
समाज को व्यवस्थित रखने के लिए परिवारों का विघटन रोकना बेहद जरूरी है।

बरेली, जेएनएन। Counseling of family court cases will be held online : कोविड महामारी के मद्देनजर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के मामलों में पक्षकारों की आनलाइन काउंसलिंग का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट की मंशा है कि कोविड की संभावित तीसरी लहर के दौरान पारिवारिक विवादों का निस्तारण निर्बाध रूप से होता रहे। इस संबंध में शनिवार को आनलाइन वर्कशाप आयोजित की गई।

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जजी सभागार में जूम मीटिंग के जरिए फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश व काउंसलर जेटीआरआई लखनऊ से जुड़े। हाईकोर्ट के फैमिली कोर्ट संबंधी कमेटी की चेयरपर्सन जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक रूप से पारिवारिक विवादों का निपटारा अन्य समस्त प्रकृति के विवादों से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। जिसमें अन्य न्यायाधीशों के मुकाबले फैमिली कोर्ट के न्यायाधीशों की विशेष भूमिका है।

काउंसलर के माध्यम से विचारण के किसी भी स्तर पर पक्षकारों के मध्य सुलह कराने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। समाज को व्यवस्थित रखने के लिए परिवारों का विघटन रोकना बेहद जरूरी है। महामारी के चलते कोविड-19 गाइडलाइन के कारण भौतिक रूप से मुकदमों की सुनवाई नहीं हो सकी। भविष्य में ऐसी स्थिति आने पर पक्षकारों की आनलाइन काउंसलिंग कराई जाएगी।

परिवार न्यायालय से जुड़े विवादों में पक्षकार दूरदराज से पैरवी के लिए आते हैं। ऐसे में ऑनलाइन व्यवस्था से उनका अदालत में हाजिर होना आवश्यक नहीं रह जाएगा। प्रत्येक सुनवाई पर पक्षकारों का आवागमन आर्थिक रूप से भी अत्यंत खर्चीला है। समय की भी बर्बादी होती है। ऑनलाइन व्यवस्था से पक्षकारों के धन व समय दोनो की बचत होगी। पक्षकारों पर आर्थिक बोझ कम होगा।

जेटीआरआई लखनऊ से संचालित वर्कशाप में प्रदेश भर के प्रधान न्यायाधीशों व काउंसलर ने भाग लिया। फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश हरीश त्रिपाठी ने भी विषयगत अपने विचार रखे। मीटिंग में प्रधान न्यायाधीश हरीश त्रिपाठी के अतिरिक्त अपर प्रधान न्यायाधीश शैलोज चंद्रा, काउंसलर नाहर खान, रुचि सक्सेना, जितेंद्र कटियार व नत्थू लाल शामिल हुए।


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