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सभाओं व जुलूस पर रोक से वर्चुअल रैलियों ने बढ़ाई इंटरनेट डेटा की भारी मांग, टेलीकाम कंपनियों की चांदी

एक सप्ताह के दौरान कंपनियों को अलग-अलग शहरों में अलग-अलग समय पर स्पेक्ट्रम की बैंडविथ बढ़ानी पड़ रही है ताकि नेटवर्क में जाम की स्थिति न हो। चुनाव आयोग द्वारा कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव में रैलियों सभाओं व जुलूसों पर रोक लगाई है।

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 10:35 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 10:35 AM (IST)
सभाओं व जुलूस पर रोक से वर्चुअल रैलियों ने बढ़ाई इंटरनेट डेटा की भारी मांग, टेलीकाम कंपनियों की चांदी
कंपनियों को अलग-अलग शहरों में अलग-अलग समय पर स्पेक्ट्रम की बैंडविथ बढ़ानी पड़ रही है

बरेली (अंकित शुक्ला)। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जहां चुनाव आयोग ने रैलियों, सभाओं व जुलूस पर रोक लगाई है। ऐसे में चुनाव प्रचार जहां डिजिटल हो गया है। वहीं ऐसे में मोबाइल कंपनियों की चांदी हो गई है। प्रचार के लिए सभी इंटरनेट मीडिया का सहारा ले रहे हैं। वहीं अचानक से डेटा की खपत भी बढ़ गई है। विभिन्न टेलीकाम कंपनियों की डेटा खपत का आंकड़ा इसका साफ उदाहरण है कि वर्चुअल प्रचार उनके लिए अच्छे मौके लेकर आया है।

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बीते एक सप्ताह के दौरान कंपनियों को अलग-अलग शहरों में अलग-अलग समय पर स्पेक्ट्रम की बैंडविथ बढ़ानी पड़ रही है, ताकि नेटवर्क में जाम की स्थिति न हो। चुनाव आयोग द्वारा कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव में रैलियों, सभाओं व जुलूसों पर रोक लगाई है। ऐसे में चुनाव जहां वर्चुअल मोड में पहुंच गया है। वहीं इससे मोबाइल कंपनियों के लिए यह अच्छे अवसर के रूप में आया है। प्रचार के लिए जब विभिन्न दलों में इंटरनेट मीडिया का सहारा लेने की होड़ मची तो डेटा की खपत तो आसमान छूने ही लगी। प्रचार में तमाम तरह के प्रतिबंधों व कोरोना के कारण लोगों के घरों से कम बाहर निकलने से भी इंटरनेट मीडिया पर लोड बढ़ गया हैं। पार्टियां अपनी रीति-नीति इसी के जरिये लोगों तक पहुंचा रही हैं। राजनैतिक दलों का आइटी सेल सक्रिय हो गया है। लोग वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर सहित अन्य इंटरनेट मीडिया पर अपने राजनैतिक दल के विषय में बता रहे हैं। माना जा रहा है कि इससे आचार संहिता का पालन भी हो जा रहा है और कोरोना संक्रमण से बचाव भी। ऐसे में मोबाइल कंपनियों के इंटरनेट डेटा की खपत बढ़ गई है। बीएसएनएल, एयरटेल, वोडाफोन, जियो समेत सभी मोबाइल कंपनियों को इसका लाभ मिल रहा है। बीएसएनएल की बात करें तो बरेली में नवंबर-दिसंबर, 2021 में रोजाना सात टेरा बाइट डेटा की खपत थी। जो कि जनवरी में बढ़कर 10 टेरा बाइट हो गई है।

इसलिए बढ़ा रहे स्पेक्ट्रम की बैंडविथ: बीएसएनएल बरेली के महाप्रबंधक अनिल कुमार ने बताया कि अचानक से डेटा की खपत बढ़ी है। ऐसे में उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए हमें स्पेक्ट्रम की बैंडविथ बढ़ानी पड़ रही है, ताकि उपभोक्ता बिना रुकावट इंटरनेट की सुविधाओं का आनंद ले सके।

निजी कंपनियों ने महंगे किए हैं रिचार्ज: बीते वर्ष नवंबर माह में ही मोबाइल नेटवर्क प्रदाता कंपनियों ने रिचार्ज के दामों में बढ़ोत्तरी की थी। जिसके चलते प्री-पेड उपभोक्ताओं को 28 दिनों के रिचार्ज के दाम में बढ़ोत्तरी की थी। हालांकि बीएसएनएल ने अभी तक अपने प्लान में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है।

एक नजर आंकड़ों पर

- 15 से 20 हजार टेराबाइट खपत जियो नेटवर्क की

- 16-18 हजार टेराबाइट रोज खप रहा एयरटेल का

- 10-15 हजार टेराबाइट डेटा की खपत वोडाफोन-आइडिया की

- 10 हजार टेराबाइट उपभोग कर रहे बीएसएनएल के उपभोक्ता

- 1024 गीगाबाइट (जीबी) होता है एक टीबी (टेराबाइट) में

क्‍या बोले बीएसएनएल जीएम: बीएसएनएल महाप्रबंंधक अनिल कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से डेटा की खपत बढ़ी है। विधानसभा चुनाव इसकी प्रमुख वजह तो है ही, टैरिफ भी प्रमुख कारण है।


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