बरेली महापौर के खिलाफ डॉ आइ एस तोमर ने खोला मोर्चा बोले- जब आजम खां के विश्वविद्यालय से कब्जा हटाया गया तो
रजऊ प्लांट मामले में घिरे महापौर डा उमेश गौतम के खिलाफ पूर्व महापौर डॉ. आइएस तोमर ने भी मोर्चा खोल दिया। उन्होंने रजऊ परसपुर की सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की करीब 5900 वर्ग मीटर भूमि पर महापौर के विश्वविद्यालय का कब्जा बताकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र भेजा है।
बरेली, जेएनएन। रजऊ प्लांट मामले में घिरे महापौर डा उमेश गौतम के खिलाफ पूर्व महापौर डॉ. आइएस तोमर ने भी मोर्चा खोल दिया। उन्होंने रजऊ परसपुर की सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की करीब 5900 वर्ग मीटर भूमि पर महापौर के विश्वविद्यालय का कब्जा बताकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र भेजा है। बुधवार को प्रेसवार्ता में कहा कि जब आजम खां के विश्वविद्यालय से कब्जा हटाया गया तो महापौर की यूनिवर्सिटी से भी सरकारी भूमि का कब्जा हटाया जाना चाहिए।
पूर्व महापौर का आरोप है कि रजऊ परसपुर में करीब 5900 वर्ग मीटर (0.590 हेक्टेयर) भूमि पर इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी का कब्जा है। सबसे पहले 25 जुलाई 2005 को एसडीएम फरीदपुर में जांच कर कब्जे की पुष्टि की थी। हाईकोर्ट के आदेश पर 15 सितंबर 2005 को डीएम ने संयुक्त सर्वे टीम से जांच कराई, जिसमें भी कब्जा होना पाया गया।
18 फरवरी 2006 को इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. उमेश गौतम ने नगर आयुक्त को भेजे पत्र में कब्जे वाली भूमि पर तीन मंजिला भवन, कंप्यूटर प्रयोगशालाएं, सेमिनार हॉल होने की बात कही। 23 मई 2006 को उन्होंने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर अवैध कब्जे वाली भूमि को सरकारी दर पर हस्तांतरित करने का अनुरोध किया। इसके बाद 30 जून 2019 को तहसीलदार फरीदपुर की जांच में भी भूमि पर अवैध कब्जा पाया गया।
ऑडिट रिपोर्ट में भी लगी आपत्ति: रजऊ परसपुर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के लिए सरकार के 13.86 करोड़ रुपये खर्च हुए। महालेखाकार, भारतीय लेखा परीक्षा व लेखा विभाग की ओर से बनी ऑडिट रिपोर्ट में वर्ष 2019-20 में आपत्तियां लगाई गई। रिपोर्ट के अनुसार, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का संचालन नहीं किए जाने के कारण 13.86 करोड़ रुपये का खर्च निष्फल रहा। उन्होंने प्लांट की जमीन पर कब्जे को लेकर भी आपत्ति जताई।
प्लांट चलाना चाहते हैं नगर आयुक्त
मौजूदा नगर आयुक्त अभिषेक आनंद रजऊ परसपुर स्थित सॉलेड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को संचालित करने के इच्छुक हैं। इस कारण उन्होंने 12 मार्च 2020 को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को पत्र भेजकर प्लांट को दोबारा संचालित करने को अनापत्ति प्रमाण पत्र देने का अनुरोध किया था। इसके बाद लॉकडाउन लगने के बाद यह मुद्दा भी अटक गया।
शासन को भेजी जा चुकी रिपोर्ट
कमिश्नर रणवीर प्रसाद के निर्देश पर नगर आयुक्त अभिषेक आनंद ने सात नवंबर 2020 को उन्हें रिपोर्ट दी, जिसमें इन्वर्टिस विश्वविद्यालय का सरकारी जमीन पर कब्जा होने की पुष्टि की गई। इसके साथ ही प्लांट का संचालन बंद करने के एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका में तत्कालीन नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव द्वारा प्रभावी पैरवी न किया जाना बताया गया। इस कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज हो गई।
दोनों में चली आ रही है लंबी खींचतान
रजऊ का प्लांट बनने से लेकर महापौर के चुनाव तक, आइएस तोमर व उमेश गौतम का आमना-सामना होता रहा है। दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में कई बार आरोप-प्रत्यारोप हो चुके हैं। प्लांट पर रोक लगी थी, तब भी ऐसा हुआ था। अब उमेश गौतम की उन्हें ऐसे वक्त में घेराबंदी की, जब अफसर भी तेवर में हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में भू-माफिया के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। यहां भी कीमती सरकारी भूमि से महापौर डॉ. उमेश गौतम का कब्जा हटाने की मांग करते हुए पत्र भेजा है। आजम खां की तरह उनसे भी दो रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से किराया वसूला जाए और भूमि खाली कराई जाए। -डॉ. आइएस तोमर, पूर्व महापौर
पूर्व महापौर डॉ. आइएस तोमर ने लोगों के सामने झूठ का पुलिंदा पहले भी रखा था। हार के बाद से वह ज्यादा बौखला गए हैं। उनके अस्पताल को गिराने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं। कमिश्नर ने भी उनकी अपील को खारिज कर दिया है। वह पहले खुद अपना अस्पताल तोड़ें। भगवान उनका संतुलन बनाए रखे। -डॉ. उमेश गौतम, महापौर