बरेली में आक्रामक हुए कुत्ते, लोगो को बना रहे शिकार Bareilly News
बारिश के मौसम में कुत्तों के आक्रामक होने से लोगों के घायल होने की घटनाएं बहुतायत से बढ़ती है। एंटी रेबीज वैक्सीन के लिए मारामारी भी कुत्तों की आक्रामक की वजह से है।
बरेली, जेएनएन : बारिश के मौसम में कुत्तों के आक्रामक होने से लोगों के घायल होने की घटनाएं बहुतायत से बढ़ती है। एंटी रेबीज वैक्सीन के लिए मारामारी भी कुत्तों की आक्रामक की वजह से है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (आइवीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने कुत्ताें के आक्रामक होने की वजह साफ की है।
डॉ. अभिजीत पावड़े के मुताबिक बारिश के मौसम के बाद कुत्ते अधिक आक्रामक हो जाते हैं। व्यवहार परिवर्तन के बारे में शोध करने पर सामने आया कि गाड़ियों की चपेट में आने से उनके बच्चों की मौत होती है। ऐसे में कुत्ते चिड़ चिढ़े हो जाते हैं। गाड़ियों के पीछे भागते हैं और लोगों को काट भी लेते हैं। इसके अतिरिक्त, बारिश में खाने-पीने की चीजें बह जाती है। भूखे होने से मानसिक असर पड़ता है। उनकी ब्रीडिंग की जरूरत भी हावी होती है। इन्हीं वजहों से कुत्ते हमलावर हो जाते हैं।
मासूम हो रहे शिकार : शहर से लेकर देहात तक कुत्तों के खुंखार होने से मासूमों के घायल होने के मामलों ने लोगों को अंदर तक झकझोर दिया है। सीबीगंज के बंडिया गांव में मासूम को कुत्तों ने अपना शिकार बनाया। इस हफ्ते में चार मासूमों को कुत्तों ने काटकर घायल किया है।
सीएचसी पर वैक्सीन नहीं मिलने के बाद मरीज जिला अस्पताल तक पहुंच रहा है। इससे अनावश्यक दबाव है। - डॉ. टीएन आर्या, सीएमएस जिला अस्तपाल
जिला अस्पताल में एंटी रैबिज वैक्सीन को लेकर हंगामे शुरू हो चुके हैं। सोमवार को जिला अस्पताल पहुंचे दर्जनों मरीजों को वैक्सीन नहीं मिली। मरीजों ने हंगामा किया। सीएमएस डॉ. टीएन आर्या के कमरे में पहुंच गए। उन्होंने कहा कि शेरगढ़, भमोरा और नवाबगंज से यहां तक आने के बाद भी हमें वैक्सीन नहीं मिली है।
उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में कुत्ता काटे के औसतन 450 लोग रोज पहुंच रहे। इनमें 300 मरीजों को प्रतिदिन वैक्सीन लग रही। जिला अस्पताल के स्टॉक में सिर्फ 150 एआरवी बची है। ये दो दिन के लिए भी पर्याप्त नहीं है। पिछले महीने ही दो हजार वैक्सीन की डिमांड भेजी गई थी। लेकिन सिर्फ 350 वैक्सीन जिला अस्पताल पहुंची थी।
450 कुत्तों का बधियाकरण का दावा
नगर निगम ने 1000 कुत्तों के बधियाकरण का ठेका एक निजी फर्म का दिया था। 450 कुत्तों का बधियाकरण करने का दावा फर्म ने किया है। इनका बधियाकरण करने के बाद फर्म उसी क्षेत्र में कुत्ते को छोड़ती है, जहां से पकड़ होता है।