डीएम ने डाला 60 लाख जुर्माना, कमिश्नर ने किया 50 हजार
बरेली(जेएनएन)। रोजाना चीनी मिल में गड़बड़ी को लेकर डीएम अमृत त्रिपाठी ने 60 लाख रुपये जुर्माना वसूलने
बरेली(जेएनएन)। रोजाना चीनी मिल में गड़बड़ी को लेकर डीएम अमृत त्रिपाठी ने 60 लाख रुपये जुर्माना वसूलने का आदेश जारी किया था। मामला मंडलायुक्त डॉ. पीवी जगनमोहन तक पहुंचा तो उन्होंने सुनवाई के पश्चात जुर्माने की धनराशि 50 हजार रुपये कर दी। मामले को लेकर तमाम कयासबाजी चल रही है मगर मंडलायुक्त ने बाकायदा इसको लेकर नियम का हवाला दिया। यह भी साफ किया कि डीएम या कमिश्नर को पेनाल्टी डालने का अधिकार नहीं है।
वर्तमान पेराई सत्र में रोजा शुगर मिल ने रिकार्ड कायम किया है। सबसे ज्यादा गन्ना पेराई, चीनी उत्पादन और भुगतान में भी अव्वल रही है। हालांकि, पूरे पेराई सत्र के दौरान रोजा शुगर मिल विवादों में भी घिरी रही। मिल प्रबंधन की ओर से अवैध कैलेंड¨रग, गलत गन्ना खरीद आदि के मामले पकड़े गए। इसी को आधार बनाते हुए मिल प्रबंधन पर जुर्माना डाला गया। डीएम अमृत त्रिपाठी मिल से इस कदर खफा हो गए कि 60 लाख रुपये की पेनाल्टी ठोक दी। उधर, डीएम के इस आदेश के खिलाफ मिल प्रबंधन ने मंडलायुक्त के यहां अपील की गई, जहां जुर्माना की रकम 50 हजार कर दी गई। बस, कमिश्नर के इस आदेश पर ही प्रशासन में चर्चा होने लगी लेकिन, उन्होंने निर्धारित नियमों का हवाला देते हुए स्थिति स्पष्ट की।
-नियम कायदे का पेच : डीएम की ओर से 60 लाख रुपये जुर्माना वसूलने के आदेश के खिलाफ मंडलायुक्त की ओर से महज पचास हजार रुपये जुर्माने का आदेश जारी किये जाने के पीछे नियम कायदों के पेच बताया जा रहा है। मसलन मिल प्रबंधन पर गड़बड़ी संबंधी मामले में अधिकतम 50 हजार रुपये जुर्माना वसूलने का नियम है। मंडलायुक्त ने इसी आधार पर जुर्माना वसूलने का आदेश जारी किया है। जबकि डीएम ने गड़बड़ी संबंधी प्रत्येक मामले में 50 हजार रुपये जुर्माना वसूलने का आदेश दे दिया था।
-कमिश्नर बोले, न्यायिक प्रक्रिया के तहत हुई सुनवाई : रोजा शुगर मिल का प्रकरण मेरे पास आया था। इसमें 50 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया था। गन्ना मिल संबंधित शासनादेशों में अनियमितता या किसी भी प्रकार की गड़बड़ी करने पर अध्यासी (मिल संचालक) की सिक्योरिटी की रकम जब्त करने का अधिकार है। 50 हजार रुपये ही सिक्योरिटी थी। डीएम या मंडलायुक्त को पेनाल्टी करने का अधिकार नहीं है। पूरी सुनवाई न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत ही की गई है।
-डॉ. पीवी जगनमोहन, कमिश्नर