नदियों का दूषित पानी फैला रहा भैंसों में बीमारी
नकटिया हो या फिर जिले से होकर जाने वाली कोई और नदी। सभी ने नाले का रूप अख्तियार कर लिया है।
जागरण संवाददाता, बरेली : नकटिया हो या फिर जिले से होकर जाने वाली कोई और नदी। सभी ने नाले का रूप अख्तियार कर लिया है। नदियों के दूषित पानी में नहाने से भैंस व अन्य दुधारू पशुओं के शरीर में भी सफेद चकत्ते पड़ रहे हैं। वहीं मिनरल डेफिशिएंसी, ल्यूकोडर्मा जैसी बीमारी होने की आशंका है। पशु चिकित्सा से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि इन बीमारियों से दुग्ध उत्पादन तो प्रभावित होता ही है, गुणवत्ता भी खासा प्रभावित होती है।
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) के पूर्व पशु चिकित्साधिकारी डॉ. पंकज गंगवार कहते हैं, यदि जिस भैंसे से मादा भैंस का क्रॉस होता है, उसमें यह बीमारी है तो इलाके में चकत्ते पड़ना अनुवांशिक बीमारी हो सकती है। अनुवांशिक कारणों के अलावा दूषित पानी में नहाने और इसे पीने से भैंसों के शरीर में कॉपर और जिंक की मात्रा असंतुलित हो जाती है। बीमारी अगर ज्यादा पशुओं में फैल रही है तो यह इसकी बड़ी वजह हो सकती है। ल्यूकोडर्मा से भैंसों को गर्मी झेलने में दिक्कत आती है। इससे दुग्ध उत्पादकता पर सीधा असर पड़ता है। वहीं, कॉपर और जिंक की असंतुलित मात्रा बैलेंस डाइट कहे जाने वाले दूध की गुणवत्ता को भी खासा नुकसान पहुंचाती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में भैंसों के अंदर यह बीमारी क्यों पहुंच रही है। इसके लिए वह पानी और भैंसों की जांच की जरूरी है। वर्जन :
भैंसों में बढ़ रही समस्या को चेक करने के बाबत आइवीआरआइ निदेशक से बात की जाएगी। जल्द से जल्द इलाकों में पानी का सैंपल करवाने के साथ ही भैंसों की भी जांच होगी, जिससे फैल रही बीमारी का सही कारण पता किया जा सके।
-डॉ. पंकज गंगवार, पूर्व पशु चिकित्साधिकारी व प्रभारी भाजपा किसान मोर्चा