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स्वास्थ्य विभाग की पहल: उम्र के हिसाब अलग-अलग रंग के रैपर में होगी मलेरिया की दवा

उम्र के हिसाब से मलेरिया की दवा अलग रंग के रैपर में आने से यह आसानी होगी कि मरीज को निर्धारित मात्रा के अनुसार दवा दे दी जाएगी।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 10:44 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 10:44 AM (IST)
स्वास्थ्य विभाग की पहल: उम्र के हिसाब अलग-अलग रंग के रैपर में होगी मलेरिया की दवा
स्वास्थ्य विभाग की पहल: उम्र के हिसाब अलग-अलग रंग के रैपर में होगी मलेरिया की दवा

अशोक आर्य, बरेली : पिछले साल मलेरिया के संक्रमण के कहर से सबक लेते हुए स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। बुखार का मरीज मिलते ही न सिर्फ उसकी तुरंत जांच होगी, बल्कि उसकी दवा भी शुरू कर दी जाएगी। डॉक्टर के पास आने से पहले ही आशा व एएनएम उसे तीन दिन खाने वाली दवा की किट दे सकेंगी। उम्र के हिसाब से मलेरिया की दवा अलग रंग के रैपर में आने से यह इसमें आसानी होगी। मरीज को निर्धारित मात्रा के अनुसार दवा दे दी जाएगी। इससे न सिर्फ संक्रमण फैलने से रुकेगा साथ ही मरीज की सेहत में भी जल्द सुधार होगा। मुहिम को बेहतर ढंग से चलाने के लिए आशा, एएनएम व लैब अटेंडेंट्स को ट्रेनिंग दी गई है।

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खतरनाक प्लाजमोडियम फैल्सीपेरम का उपचार आसान

मलेरिया का कारण मुख्य दो से दो पैरासाइड से माना जाता है। इसमें प्लाजमोडियम फैल्सीपेरम और दूसरा प्लाजमोडियम वाईवेक्स है। प्लाजमोडियम फैल्सीपेरम खासा खतरनाक है। समय से इलाज नहीं मिलने पर यह मरीज के लिए जानलेवा साबित होता है। इसके उपचार के लिए एसीटी, एसपी कॉम्बीपैक मरीज को दिया जाता है। तीन दिन के इस पैक में आर्टिसुनेट तीन दिन तक और सल्फाडाक्सीन पाइरीमेथामीन पहले दिन व प्राइमाक्वीन की एक खुराक दूसरे दिन देनी चाहिए। उम्र व वजन के अनुसार प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम का उपचार अलग है।

हर उम्र के लिए अलग रंग का रैपर

      उम्र                    रैपर का रंग

  • 0-1 वर्ष                गुलाबी
  • 1-4 वर्ष                पीला
  • 5-8 वर्ष                हरा
  • 9-14 वर्ष              लाल
  • 15 वर्ष से ऊपर      सफेद

लैब अटेंडेंट भी करेेंगे जांच

पिछले वर्ष बीमारी की भयावहता को देखते हुए स्टाफ को भी इस बार काम सौंपे गए हैैं। लैब टेक्नीशियनों की बेहद कमी के कारण इस बार लैब अटेंडेंट को भी ट्रेनिंग दी गई है। लैब अटेंडेंट किसी आशा व एएनएम की तरह कहीं भी बुखार का मरीज मिलने पर उसकी जांच करेंगे। फैल्सीपेरम का मरीज मिलने पर उसकी तुरंत दवा शुरू करेंगे। उस मरीज का रिकार्ड तैयार करेंगे और मरीज को डॉक्टर को दिखाएंगे।

फॉलोअप पर रहेगा विशेष ध्यान

पिछले वर्ष लगातार कई दिनों तक खतरनाक फैल्सीपेरम के मरीज निकलते रहे। डॉक्टरों ने इसकी वजह मरीजों द्वारा तीन दिन तक दवा पूरी नहीं खाना बताया। इसके चलते इस बार मरीज का फॉलोअप करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मरीज पूरी दवा खा रहा है या नहीं, इसका रिकार्ड भी आशा-एएनएम रखेंगे।

फैल्सीपेरम के निकले थे करीब 20 हजार मरीज

जिले में पिछले साल खतरनाक फैल्सीपेरम के करीब 20 हजार मरीज निकले थे। इनमें से तीन सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में यह आंकड़ा मात्र 20 मौतों का ही था। कई लोगों की मौत का कारण स्पष्ट ही नहीं हो पाया। उनके परिवार वालों ने जरूर हिस्ट्री मलेरिया वाली बताई थी।

मलेरिया पर नियंत्रण की तैयारियां शुरू

मलेरिया पर नियंत्रण के इंतजाम अभी से कर दिए गए हैैं। आशा-एएनएम कही भी बुखार का मरीज मिलने पर उसकी तुरंत जांच करेंगी। फिर उसकी तत्काल दवा भी शुरू करवा देंगी। उम्र के हिसाब से दवा की पैकिंग अलग रंग की है। दवा देने के साथ ही मरीज को सरकारी डॉक्टर को भी दिखाएंगी। उसका रिकार्ड भी रखेंगी।

डॉ. अवधेश यादव, संयुक्त निदेशक, मलेरिया


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